भारत की ग्रोथ पर फिच ने घटाया अनुमान, ग्लोबल इकोनॉमी की धीमी रफ्तार और ऊंची ब्याज दरें बनी वजह
ग्रोथ पर अनुमान में कटौती की वजह ग्लोबल आर्थिक की धीमी रफ्तार, रिकॉर्डतोड़ महंगाई और ऊंची ब्याज दरें हैं. रेटिंग एजेंसी ने FY24 के लिए भी ग्रोथ पर अनुमान में कटौती की है.
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की GDP ग्रोथ पर अनुमान के घटा दिया है. एजेंसी ने FY23 के लिए ग्रोथ रेट घटाकर 7 फीसदी कर दी है. जून में फिच ने भारत के लिए ग्रोथ पर 7.8 फीसदी का अनुमान जताई थी. ग्रोथ पर अनुमान में कटौती की वजह ग्लोबल आर्थिक की धीमी रफ्तार, रिकॉर्डतोड़ महंगाई और ऊंची ब्याज दरें हैं. रेटिंग एजेंसी ने FY24 के लिए भी ग्रोथ पर अनुमान में कटौती की है. इसे 7.4 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी की है. फिच ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के सितंबर संस्करण में इसकी जानकारी दी.
सस्ते कच्चे तेल से मिली थोड़ी राहत
दूसरी ओर, केंद्रीय बैंक RBI ने इस साल के लिए GDP ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है. जून तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रही थी, जो मार्च तिमाही की 4.10 फीसदी के मुकाबले ज्यादा थी. हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अगस्त में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई थोड़ी गिरावट दिखी, लेकिन खराब मौसम के चलते खाद्य महंगाई का रिस्क बना रहेगा. बता दें कि अगस्त में थोक महंगाई दर 11 महीने के निचले स्तर 12.41 फीसदी रही, जबकि रिटेल महंगाई दर बढ़कर 7 फीसदी हो गई है.
RBI आगे भी बढ़ाएगा ब्याज दरें?
फिच की रिपोर्ट के मुताबिक RBI ने 2022 की शुरुआत से अगस्त तक ब्याज दरें 140 bps बढ़ा चुका है और आगे भी दरों में बढ़ोतरी की आशंका है. क्योंकि केंद्रीय बैंक का फोकस महंगाई कम करने पर है. हालांकि, यह महंगाई और इकोनॉमिक एक्टिविटी पर भी निर्भर करेगा. ऐसे में भविष्य में पॉलिसी दरों का पीक देखने को मिल सकता है, जो अगले साल तक 6 फीसदी तक पहुंच सकता है. ग्लोबल एजेंसी ने कहा कि डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी की वैल्यू 2022 के अंत तक 79 तक बरकरार रहेगी, जबकि रिटेल महंगाई दर भी करीब 6.2 फीसदी के करीब रहने की उम्मीद है.
कैसी रहेगी वर्ल्ड इकोनॉमी की रफ्तार?
सप्लाई दिक्कतों और महंगाई के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित रहने वाली है. ऐसे में वर्ल्ड GDP ग्रोथ 2022 में 2.4 फीसदी रह सकती है, जिसे पहले के अनुमान से 0.5 फीसदी घटाया है. 2023 में वर्ल्ड GDP ग्रोथ केवल 1.7 रहेगी. 2023 के लिए वर्ल्ड GDP पहले के अनुमान से 1 फीसदी कम रहेगी. वहीं, यूरो जोन और UK की इकोनॉमी में साल के अंत तक मंदी आने की आशंका है. जबकि 2023 के मिड तक अमेरिकी इकोनॉमी मामूली मंदी से गुजर सकती है. अगर चीन की बात करें तो कोविड पाबंदियों और रियल एस्टेट सेक्टर की तंग हालत से इस साल ग्रोथ 2.8 फीसदी रह सकती है. अलगे साल 4.5 फीसदी रह सकती है.