क्या महंगाई डायन और मचाएगी तबाही? जानिए वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट क्या कहती है
वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में महंगाई को लेकर जो कहा गया है वह डराने वाला है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में महंगाई घटने की जगह बढ़ सकती है. जियो पॉलिटिकल सिचुएशन के कारण सप्लाई साइड की समस्या बढ़ेगी. इससे इंपोर्ट बिल बढ़ेगा.
इस समय पूरा विश्व महंगाई से परेशान है. पहले यह अनुमान जताया जा रहा था कि अगले साल महंगाई से राहत मिलेगी, लेकिन वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट का कुछ और कहना है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो पॉलिटिकल सिचुएशन बिगड़ने से एकबार फिर से सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ गया है. इसकी वजह से 2023 में महंगाई कम होने की बजाय बढ़ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में रिकॉर्ड महंगाई के कारण वहां फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी को लेकर अग्रेसिव रुख कायम किया है.
फेड के अग्रेसिव रुख से लिक्विडिटी पर होगा असर
अब तक लगातार तीन बार इंटरेस्ट रेट में 75-75 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की गई है. फेडरल रिजर्व की अगली बैठक 2 नवंबर को है. माना जा रहा है कि चौथी बार भी इंटरेस्ट रेट में 75 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की जा सकती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिसंबर में भी इंटरेस्ट में 50-75 बेसिस प्वाइंट्स तक की बढ़ोतरी संभव है. ब्याज दरों में और बढ़ोतरी से पूंजी प्रवाह कम हो सकता है.
रुपए पर दबाव बढ़ेगा और आयात महंगा होगा
फेडरल रिजर्व ने कहा कि इंटरेस्ट में बढ़ोतरी से डॉलर और मजबूत होगा और रुपए पर दबाव बढ़ेगा. इससे आवश्यक वस्तुओं का आयात महंगा हो सकता है. इससे महंगाई बढ़ सकती है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि बेशक भारत को वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर मची से उपजी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मगर, बेहतर इकनॉमिक ग्रोथ के साथ भारत की आर्थिक स्थिति दूसरे देशों से बेहतर है. भारत की आर्थिक विकास दर और उसकी स्थिरता से जुड़ी चिंताएं दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कम चिंताजनक है. वित्त मंत्रालय ने सितंबर की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही है. इसमें कहा गया है कि मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक विकास की दर 6 फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान है.
घरेलू निवेश में तेजी आ रही है
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, हाल की वैश्विक घटनाओं के कारण निवेश के हिसाब से भारत एक अहम मार्केट के तौर पर उभरा है. लंबे इंतजार के बाद घरेलू निवेश में भी तेजी आ रही है. हालांकि वित्त मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन को लेकर चिंता बनी हुई है. इस साल भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकनॉमी होगी.
मौसम अनुकूल रहेगा तो महंगाई में कमी आएगी
वित्त मंत्रालय की आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि मौसम अनुकूल बना रहता है तो खुदरा महंगाई आने वाले महीनों में घटेगी जिससे कुल खुदरा महंगाई भी कम होगी. समीक्षा के मुताबिक, 'भूराजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में आपूर्ति श्रृंखला का दबाव बढ़ सकता है जिसमें हाल में कुछ कमी आई है. ऐसा होता है तो 2023 में महंगाई घटने के बजाय बढ़ सकती है.'
औसत महंगाई 7.2 फीसदी रही
इन छह महीनों में भारत में खुदरा महंगाई 7.2 फीसदी पर रही है जो विश्व स्तर पर आठ फीसदी पर रही. वहीं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में 5.4 फीसदी की गिरावट आई जो छह प्रमुख मुद्राओं में आई 8.9 फीसदी की गिरावट से कम है. इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई 2022 के दौरान कई कदम उठाए हैं जिनसे पूंजीगत प्रवाह में और स्थिरता आने की उम्मीद है जिससे रुपए को बल मिलेगा.