वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कोरोनावायरस महामारी के चलते लोन की किस्त चुकाने में अपने को असमर्थ पा रही कंपनियों को दिवाला कानून के तहत एक साल तक कार्रवाई से बचाने की रविवार को घोषणा की है. उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code) के तहत एक साल तक कोई नई दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी. इस फैसले से ऐसी कंपनियों को राहत मिलेगी. 

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कोरानावायरस से पैदा हुए हालात से निपटने और आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ रुपए के मेगा पैकेज की पांचवीं किस्त की अनाउंसंमेंट में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी कोड (IBC) के तहत यह प्रावधान भी शामिल किया गया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही, कोरोनो वायरस से जुड़े लोन को डिफ़ॉल्ट की परिभाषा से बाहर रखा जाएगा.

उन्होंने कहा कि छोटी कंपनियों (एमएसएमई) को फायदा पहुंचाने के लिए दिवाला कानून प्रक्रिया शुरू करने के लिए फंसे लोन की मिनिमम राशि एक लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए ऑर्डिनेंस लाया जाएगा.

वित्त मंत्री ने कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को गैर-आपराधिक बनाए जाने की भी अनाउंसमेंट की. इसके तहत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के बारे में जानकारी देने में चूक, निदेशक मंडल की रिपोर्ट की अपर्याप्ता, शेयर बाजारों को सूचना देने में देरी, सालाना आम बैठक में देरी समेत कई प्रक्रियाओं और मामूली तकनीकी दिक्कतें शामिल हैं.

पैसे के तौर पर पेनाल्टी या हर्जाने के साथ वैसे सॉल्यूशन वाले उल्लंघनों में ज्यादातर को आंतरिक न्याय निर्णय प्रक्रिया (Internal justice decision process) के तहत रखा जाएगा. इस संबंध में ऑर्डिनेंस जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कंपनी कानून के तहत सात अपराधों को एक साथ हटाया जाएगा और इनमें से पांच को ऑप्शनल नियमों के मुताबिक रखा जाएगा.

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इसके अलावा, सरकार ने कंपनियों को सीधे विदेशी बाजार में सिक्योरिटीज को लिस्टेड कराने की मंजूरी भी दी है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियां, जो शेयर बाजारों में नॉन कन्वर्टिकल डिबेंचर लिस्टेड कराती हैं, उन्हें लिस्टेड कंपनियों के तौर पर नहीं माना जाएगा.