Nirmala Sitharaman white paper on economy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में साल 2004 से 2014 तक यूपीए शासन के दौरान देश की खराब आर्थिक स्थिति को उजागर करने के लिए श्वेत पत्र (व्हाइट पेपर) पेश किया है. वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024 के अंतरिम बजट भाषण में श्वेत पत्र लाने की घओषणा की थी. लोकसभा के साथ-साथ ये व्हाइट पेपर राज्यसभा में भी पेश किया जाएगा. श्वेत पत्र पर शुक्रवार (09 फरवरी) को लोक सभा मे बहस होगी.  नियम 342 के तहत प्रश्नकाल के बाद इस पर चर्चा शुरू होगी. बहस चार घंटे तक चलेगी. वहीं, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस पर जवाब देंगी.

Nirmala Sitharaman white paper on economy: 2004 में छोड़ दिए गए आर्थिक सुधार, 2008 के बाद आर्थिक नींव को किया कमजोर

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वित्त मंत्री ने सदन में व्हाइट पेपर जारी करते हुए कहा, 'मैं भारतीय अर्थव्यवस्था पर ‘श्वेत पत्र’ हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में पेश करती हूं.'श्वेत पत्र में लिखा है कि आर्थिक संकट के बारे में देश को बताना जरूरी है. साल 2004 से 2014 तक अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त रही और आर्थिक व्यवस्था खराब रही थी. 2004 में आर्थिक सुधारों को छोड़ दिया गया था.  सरकार के श्वेत पत्र के मुताबिक यूपीए सरकार ने 2008 के बाद आर्थिक नींव को कमजोर किया. 2009 से 2014 के बीच देश में महंगाई बढ़ी थी, इसका खामियाजा आम लोगों पर पड़ा था. 

Nirmala Sitharaman white paper on economy: 8.6 लाख करोड़ रुपए सरकार का बकाया, बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की विरासत 

श्वेत पत्र में सरकार ने दावा किया है कि यूपीए सरकार के शासन काल में बाजार से ज्यादा उधार लिया गया था. 2014 में 8.6 लाख करोड़ रुपए सरकार का बकाया था. वहीं, बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की सबसे बड़ी विरासत थी. पब्लिक फाइनेंस खतरनाक स्तर पर था. 2004 से 2014 तक 200 कंपनियों पर करोड़ों रुपए बकाया थे. 2011 से 2013 के बीच रुपए में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी. यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सहूलियत दे पाने में बुरी तरह नाकाम रही, इसने बाधाएं खड़ी की जिससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ नहीं पाई. 

Nirmala Sitharaman white paper on economy: 2014 में नाजुक दौर पर थी अर्थव्यवस्था, बन सकती थी नकारात्मक स्थिति

सरकार के श्वेतपत्र में कहा गया है कि साल 2014 में मोदी सरकार द्वारा सत्ता संभालने के दौरान अर्थव्यवस्था नाजुक दौर में थी. वर्ष 2014 में अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब श्वेतपत्र प्रस्तुत किया जाता तो नकारात्मक स्थिति बन सकती थी और निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा जाता. राजनीतिक और नीतिगत स्थिरता से लैस राजग सरकार ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के विपरीत बड़े आर्थिक फायदों के लिए कड़े फैसले लिए. व्हाइट पेपर में सरकार ने कहा कि त्वरित समाधान करने के बजाय, राजग सरकार ने साहसिक सुधार किए थे.