दमदार आर्थिक ग्रोथ और आकर्षक निवेश के मौके के चलते भारत विदेशी निवेशकों की पहली पसंद बन गया है. देश में जारी FDI के आंकड़े ताजा उदाहरण हैं. RBI के फ्रेश आंकड़ों  के मुताबिक FDI अक्टूबर में 21 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं. यह लगातार तीसरा महीना है जब नेट FDI में पॉजिटिव ग्रोथ दर्ज की गई. UN ESCAP के डेटा के मुताबिक मंदी के बीच भारत लगातार दूसरे साल सबसे ज्यादा FDI पाने वाला देश बना हुआ है. 

FDI अक्टूबर में 21 महीने के उच्चतम स्तर पर

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

RBI द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार भारत में आने वाला FDI अक्टूबर में 21 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो अर्थव्यवस्था की मजबूत होती बुनियाद को दर्शाता है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में भारत में शुद्ध FDI सितंबर के 1.55 अरब डॉलर से बढ़कर 5.9 अरब डॉलर रहा. यह लगातार तीसरा महीना है जब शुद्ध FDI में बढ़ोतरी देखी गई है. 

इन देशों से FDI का फ्लो

इक्विटी में पूरे एफडीआई फ्लो का लगभग चार से पांचवां हिस्सा विनिर्माण, खुदरा, ऊर्जा और वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश किया गया. मॉरीशस, सिंगापुर, साइप्रस और जापान प्रमुख देश थे जहां से देश में FDI का फ्लो हुआ. हालांकि, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के आंकड़ों से पता चलता है कि शुद्ध FDI फ्लो पिछले वर्ष की समान अवधि के 20.8 बिलियन डॉलर से घटकर 10.4 बिलियन डॉलर रह गया.

विदेशी मुद्रा भंडार में ग्रोथ

इस महीने जारी UN ESCAP आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में मंदी के बीच भारत लगातार दूसरे वर्ष 2023 में सबसे अधिक FDI प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है. एक्सटर्नल कमर्शियल बौरोइंग (ECB) और नॉन-रेसिटेंट डिपोजिट अकाउंट्स के तहत शुद्ध प्रवाह पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है और बाहरी FDI प्रतिबद्धताओं में भी गिरावट आई है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है.

विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें हफ्ते बढ़ा

RBI द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें सप्ताह बढ़कर 15 दिसंबर तक 20 महीने के उच्चतम स्तर 615.97 बिलियन डॉलर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से आरबीआई को रुपए को स्थिर करने में मदद मिलती है. RBI रुपए को दबाव में आने से रोकने के लिए अधिक डॉलर जारी कर हाजिर और वायदा मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करता है. देश की विदेशी मुद्रा भंडार में किसी भी तेज गिरावट से RBI के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम हो जाती है.