Economic Survey on Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अलग-अलग कौशल वाले कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर को लेकर काफी अनश्चितता है. संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है. समीक्षा में यह अनुमान जताया गया है कि नये जमाने की टेक्नोलॉजी से प्रोडक्टिविटी में तो बढ़ोतरी होगी, लेकिन कुछ क्षेत्रों में रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ सकते हैं. आपको बता दें कि आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वे पेश किया था.  

Economic Survey on Artificial Intelligence: 'काम के तौर-तरीकों में हो सकता है बड़ा बदलाव' 

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इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ‘इनोवेशन’ की तेज गति और उसके प्रसार में सुगमता के मामले में बेजोड़ है. लेकिन इससे आने वाले समय में काम के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. समीक्षा के मुताबिक, ‘आर्टिफिशियल  इंटेलिजेंस के आने से सभी स्तरो के श्रमिकों पर इसके प्रभाव के बारे में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है.’ भविष्य में काम के तौर-तरीकों को लेकर सबसे बड़ा बदलाव एआई में तेजी से हो रही वृद्धि है. 

Economic Survey on Artificial Intelligence: AI के बदलावों से अछूता नहीं होगा भारत

सर्वे के मुताबिक एआई वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापक स्तर पर बदलाव लाने की स्थिति में है.भारत इस बदलाव से अछूता नहीं रहेगा. एआई को बिजली और इंटरनेट की तरह एक सामान्य उद्देश्य वाली तकनीक के रूप में मान्यता दी जा रही है, जो इनोवेशन की तेज गति और प्रसार में सुगमता के कारण अभूतपूर्व है. जैसे-जैसे एआई आधारित प्रणाली ‘स्मार्ट’ हो रही है, इसकी स्वीकार्यता बढ़ेगी और काम का तौर-तरीका बदलेगा.’ 

Economic Survey on Artificial Intelligence: कुछ क्षेत्रों में नौकरियों को कर सकता है प्रभावित

 आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की काफी क्षमता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह नौकरियों को प्रभावित भी कर सकता है. कस्टमर सर्विस सेवा सहित दैनिक कार्यों में उच्चस्तर के ऑटोमेशन की संभावना है. रचनात्मक और सृजन से जुड़े क्षेत्रों में तस्वीर और वीडियो निर्माण के लिए एआई का व्यापक उपयोग देखने को मिल सकता है. साथ ही व्यक्तिगत एआई शिक्षक शिक्षा को नया रूप दे सकते हैं और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में दवाओं की खोज में तेजी आ सकती है.’