सरकार के कंपनी स्थापित करने के नियमों में ढील, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता को समाप्त करने जैसे कदमों से भारत को इस साल विश्व बैंक की कारोबार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) रैंकिंग में अपनी स्थिति और सुधारने में मदद मिलेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकार ने सभी दस मानदंडों पर कई कदम उठाए हैं. इससे निश्चित रूप से भारत की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार करने में मदद मिलेगी.’’ 

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विश्व बैंक अपनी वार्षिक कारोबार सुगमता रिपोर्ट में विभिन्न देशों को उनके यहां कारोबार शुरू करने और कारोबार करने से संबंधित दस मानकों के आधार पर रैंकिंग देता है. इन मानदंडों में कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन प्राप्त करना, कर्ज लेना, करों का भुगतान, सीमापार व्यापार, अनुबंधों को लागू करना और दिवाला निपटान आदि शामिल हैं. विश्व बैंक की अगली रिपोर्ट अक्टूबर, 2019 में आने की उम्मीद है. वर्ष 2018 की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 23 स्थान के सुधार के साथ 77वीं रही थी. 

सरकार की ओर से जो अन्य कदम उठाए गए हैं उनमें कई फॉर्म को एक में मिलाना, 15 लाख रुपये तक की अधिकृत पूंजी वाली कंपनियों के लिए शुल्क समाप्त करना, कंपनी सील या रबड़ स्टाम्प को समाप्त करना और ईपीएफओ और ईएसआईसी के पंजीकरण को जोड़ना शामिल है. 

सरकारी अधिकारी ने कहा कि कंपनियों के व्यापार के अनुभव को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इन सुधारों में सभी आयात और निर्यात सौदों के लिए एकल खिड़की, बंदरगाह और टर्मिनल ऑपरेटरों जैसे सभी अंशधारकों को साझा मंच पर एकीकृत करना और बंदरगाहों पर माल की खेप को निकालने के लिए तेजी से मंजूरी शामिल है.