Paddy Sowing: पंजाब में धान की रिकॉर्ड बुवाई, DRS तकनीक से सिर्फ 82000 हेक्टेयर में हुई रोपाई
Paddy Sowing: खरीफ बुवाई के सीजन में 12 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में इस DRS तकनीक के तहत सिर्फ 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की सीधी रोपाई की जा सकी. डीएसआर तकनीक के तहत खेती का रकबा लक्ष्य से काफी कम रह गया.
Paddy Sowing: खरीफ सीजन (Kharif season) में धान की बुवाई पूरी हो गई. पंजाब में धान का कुल रकबा सालाना आधार पर लगभग 2% घटकर 30.84 लाख हेक्टेयर रहा. पिछले साल यह 31.41 लाख हेक्टेयर था. पंजाब कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इस सीजन में धान की खेती का रकबा 30.84 लाख हेक्टेयर रहा. इस सीजन में बासमती धान का रकबा करीब 4.60 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है. सरकार के डायरेक्ट सीडिंग टेक्निक (Direct Seeding Technique) के प्रति किसानों का रुझान कम रहा.
सिर्फ 82 हजार हेक्टेयर में हुई DRS तकनीक से बुवाई
खरीफ बुवाई के सीजन में 12 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में इस DRS तकनीक के तहत सिर्फ 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की सीधी रोपाई की जा सकी. पंजाब सरकार द्वारा पूरी कोशिश के बावजूद डीएसआर तकनीक के तहत खेती का रकबा लक्ष्य से काफी कम रह गया.
क्या है DRS तकनीक?
डीएसआर तकनीक के तहत धान के बीजों को एक मशीन की मदद से खेत में रोपा जाता है, जो चावल की बिजाई और हर्बीसाइड का स्प्रे एक साथ करती है. पारंपरिक विधि के अनुसार, पहले धान के पौधों को किसान नर्सरी में उगाते हैं और फिर इन पौधों को उखाड़कर एक निचली जमीन वाले खेत में लगाया जाता है.
15 से 20 फीसदी पानी की होती है बचत
डीएसआर पद्धति से सिंचाई के लिए बहुत कम पानी की जरूरत होती है. इससे रिसाव में सुधार होता है, कृषि श्रम पर निर्भरता कम होती है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है तथा धान और गेहूं दोनों की उपज में 5 से 10% की बढ़ोतरी होती है. यह पारंपरिक पोखर विधि (Puddling Method) की तुलना में लगभग 15-20 प्रतिशत पानी बचाने में भी मदद करती है.
राज्य सरकार ने डीएसआर तकनीक का विकल्प चुनने वाले किसानों को 1,500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पैसे देने की घोषणा की थी.