Dollar vs Rupee: इस फिस्कल रुपया दिखाएगा अपना दम, मजबूत होकर 82 के स्तर तक आ सकता है
इस हफ्ते रुपया डॉलर के मुकाबले 83.38 के स्तर पर बंद हुआ. केयर रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि FY25 में इंडियन करेंसी डॉलर के मुकाबले 82-82.50 तक मजबूत हो सकती है.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 10 पैसे की गिरावट के साथ 83.38 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. विदेशों में डॉलर के मजबूत होने और घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली से स्थानीय मुद्रा प्रभावित हुई. क्रूड में तेजी का दबाव भी रुपए पर दिखा है. इधर केयर रेटिंग्स के एक शीर्ष अर्थशास्त्री के अनुसार, डॉलर की तुलना में भारतीय रुपया के मौजूदा वित्त वर्ष में 82-82.50 रुपए तक मजबूत होने की उम्मीद है जबकि निकट भविष्य में यह 83-83.50 रुपए के बीच बना रहेगा. साख निर्धारक एजेंसी की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि निकट भविष्य में भारतीय रुपए के 83-83.50 रुपए प्रति डॉलर के बीच कारोबार करने की उम्मीद है, हालांकि भूराजनीतिक तनाव संभावित जोखिम पैदा कर सकता है.
FY25 में रुपया मजबूती दिखाएगा
उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय रुपया मामूली रूप से मजबूत होकर लगभग 82-82.50 रुपए प्रति डॉलर हो जाएगा जो लगभग सात प्रतिशत की स्वस्थ आर्थिक वृद्धि, चालू खाता घाटा के जीडीपी के लगभग एक प्रतिशत के आरामदायक स्तर और वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में भारत के शामिल होने के बाद एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) प्रवाह में अपेक्षित वृद्धि के भारत के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों से प्रेरित होगा."
डॉलर में मजबूती का सभी करेंसी पर असर
सिन्हा ने कहा कि हालांकि ईरान-इजरायल तनाव को लेकर चिंताएं कम हो गई हैं, लेकिन मजबूत डॉलर का भारतीय रुपए सहित उभरते बाजारों की मुद्राओं पर दबाव बना हुआ है. उन्होंने कहा कि साल में अब तक, कुछ उभरते बाजारों और एशियाई देशों की तुलना में रुपया शीर्ष प्रदर्शन करने वाला बना हुआ है, जिसे आरबीआई के हस्तक्षेप से समर्थन मिलने की संभावना है.
अमेरिका में अभी महंगाई हाई रहने की उम्मीद
सिन्हा ने कहा कि अमेरिका में मजबूत आर्थिक आंकड़ों और अपेक्षा से अधिक महंगाई के बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दर में कटौती की उम्मीद कम है. उन्होंने कहा कि बाजार का ध्यान अब गुरुवार को जारी होने वाले अमेरिकी जीडीपी के आंकड़े और शुक्रवार को व्यक्तिगत उपभोग व्यय महंगाई के आंकड़ों पर केंद्रित है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती की उम्मीद है. ओवरऑल महंगाई में थोड़ी वृद्धि होने की उम्मीद है जबकि मुख्य महंगाई में कुछ नरमी आने की उम्मीद है.