चीन से आयातित वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क और दूसरे स्टील वेसल पर एंटी डंपिंग ड्यूटी को लेकर सरकार ने जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं. Placero कंपनी की अर्जी पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (Directorate General of Trade Remedies- DGTR) ने जांच शुरू कर दी है. जांच की अवधि 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक है. इसके अलावा चीन से इम्पोर्ट हो रहे सल्फर ब्लैक पर भी एंटी डंपिंग ड्यूटी लग सकती है . अतुल लिमिटेड की अर्जी पर DGTR ने  जांच शुरू की है. जांच की अवधि जनवरी 2022 से दिसंबर, 2022 तक है. 30 दिन में सभी हितधारकों से डिटेल्स मांगी गई है.  

जानबूझकर चीन कर रहा है डंपिंग 

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घरेलू इंडस्ट्री का कहना है कि चीन जानबूझकर भारतीय बाजार में डंपिंग कर रहा है जो लागत से भी कम कीमत पर है. DGFT ने अपने नोटिफिकेशन में कहा, 'जांच की अवधि में 2019-20, 2020-21, 2021-2022 भी शामिल होगी.' प्लेसेरो इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ने DGFT को बताया है कि चीन से वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क और दूसरे स्टील वेसल का न तो आयात किया गया है. न ही वह चीन से किसी भी निर्यातक या उत्पादक या भारत में किसी भी आयतक से संबंधित है.'  

जांच के दायरे में हैं ये प्रोडक्ट

DGFT के मुताबिक जांच के दायरे में वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क हैं. इसके अलावा स्टेनलेस स्टील के दूसरे वेसल्स भी हैं. इसमें फ्लास्क, कप, बोतलें, केतली, कैराफे और डिस्पेंसर शामिल है. स्टेनलेस स्टील के दूसरे बर्तन जैसे कैसरोल और दूसरे वैक्यूम खाद्य कंटेनर जैसे लंच/टिफिन, आइस बकेट और बॉक्सेस आदि पीयूसी के दायरे से बाहर आते हैं. वैक्यूम फ्लास्क का इस्तेमाल तरल पदार्थ के तापमान को बनाए रखने के लिए किया जाता है. वहीं, सल्फर ब्लैक का इस्तेमाल सेल्लूलोस फाइबर को डाई करने में किया जाता है. इसके दायरे में यार्न, पेपर और लेदर भी आता है.

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क्या होती है एंटी डंपिंग ड्यूटी

किसी भी सामान के आयात पर अतिरिक्त आयात शुल्क यानी एंटी डंपिंग ड्यूटी तब लगाई जाती है, जब आयात होने वाले सामान की कीमत घरेलू बाजार में लगाए गए सामान्य मूल्य से कम होती है. इससे आयात करने वाले देश की घरेलू इंडस्‍ट्री को नुकसान होता है. एंटी डंपिंग एक कदम है जिसका इस्‍तेमाल सामान की डंपिंग और उसके व्यापार पर उसके दुष्‍प्रभाव से पैदा हुए हालात को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है.