चालू खाते का घाटा बना सिरदर्द, जीडीपी के 2.5% पर पहुंचा, राजकोषीय घाटे में भी भारी बढ़ोतरी
fiscal deficit: चालू वित्त वर्ष 2018-19 (अप्रैल-मार्च) के शुरुआती 11 महीने में भारत का राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य का 134.2 फीसदी हो गया है. यह जानकारी शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली.
सालाना आधार पर चालू खाते का घाटा बढ़ने की मुख्य वजह ऊंचा व्यापार घाटा है. (फोटो साभार - रॉयटर्स)
सालाना आधार पर चालू खाते का घाटा बढ़ने की मुख्य वजह ऊंचा व्यापार घाटा है. (फोटो साभार - रॉयटर्स)
देश के चालू खाते का घाटा (कैड) 2018-19 की तीसरी तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है. एक साल पहले समान तिमाही में यह 2.1 प्रतिशत था. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. मुख्य रूप से ऊंचे व्यापार घाटे की वजह से कैड बढ़ा है. मूल्य के हिसाब से अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में कैड 16.9 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 13.7 अरब डॉलर था. हालांकि, इससे पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान कैड घटकर जीडीपी का 2.9 प्रतिशत या 19.1 अरब डॉलर रहा था.
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि सालाना आधार पर चालू खाते का घाटा बढ़ने की मुख्य वजह ऊंचा व्यापार घाटा है. समीक्षाधीन तिमाही में व्यापार घाटा 49.5 अरब डॉलर रहा जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 44 अरब डॉलर था.
राजकोषीय घाटा लक्ष्य का 134 फीसदी
चालू वित्त वर्ष 2018-19 (अप्रैल-मार्च) के शुरुआती 11 महीने में भारत का राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य का 134.2 फीसदी हो गया है. यह जानकारी शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली. आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से फरवरी तक की अवधि में राजकोषीय घाटा 6.34 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 8.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
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महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनों में राजकोषीय घाटा उस साल के लक्ष्य का 120.3 फीसदी था. सरकार का कुल खर्च फरवरी तक 21.88 लाख करोड़ (बजट अनुमान का 89.1 फीसदी) और कुल प्राप्तियां 13.37 लाख करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान का 73.4 फीसदी) रहीं.
(इनपुट एजेंसी से)
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07:08 PM IST