JP Morgan Vs CITI on Crude: रूस-यूक्रेन जंग, बढ़ती ब्‍याज दरें और मजबूत होते डॉलर के बीच कच्‍चे तेल (Crude) को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. ग्‍लोबल इकोनॉमी में मंदी की आशंका भी जताई जा रही है. इस बीच, दो ग्‍लोबल ब्रोकरेज हाउसेस जेपी मॉर्गन (JP Morgan) और सिटी (CITI) की क्रूड के आउटलुक पर काफी रोचक रिपोर्ट आई है. जेपी मॉर्गन क्रूड के भाव को लेकर जहां बुलिश है और 380 डॉलर प्रति बैरल तक का अनुमान जता रहा है. वहीं, सिटी को क्रूड में मंदी नजर आ रही है और भाव 45 डॉलर तक लुढ़क सकता है. इन रिसर्च फर्म्‍स की रिपोर्ट के हवाले से समझते हैं, किन हालातों में क्रूड का लेवल कैसे बदल सकता है.

क्रूड पर JP Morgan क्‍यों है बुलिश?

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जेपी मॉर्गन का कहना है कि रूस क्रूड के भाव पर असर डाल सकता है. G7 देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश है. अगर ऐसा होता है, तो इसके चलते रूस कच्‍चे तेल का उत्‍पादन घटा सकता है. अगर रूस 30 लाख बैरल रोजाना उत्‍पादन घटाता है, तो कच्‍चा तेल 190 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. वहीं, अगर 50 लाख बैरल रोजाना तक गिराता है, तो क्रूड का भाव 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. इस लिहाज से जेपी मॉर्गन 190 डॉलर और 380 डॉलर दो टारगेट दे रहा है. 

जेपी मॉर्गन का कहना है कि भले ही एशियाई देश रूस से कच्‍चा तेल खरीदते रहे लेकिन अगर यूरोप-यूएस से प्रतिबंध लगाया गया और यूरोप ने तेल खरीदना कम कर दिया, तो इसका इसका असर डिमांड-सप्‍लाई पर हो सकता है. इसके चलते कच्‍चे तेल के दाम 190 से 380 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकते हैं. 

जेपी मॉर्गन का कहना है कि रूस तब रुकेगा, जब उस पर असर होगा. ऐसे में जब तक रूस की इकोनॉमी पर असर नहीं होगा, तब तक शायद रूस न रूके. अगर रूस ने 50 लाख बैरल रोजाना प्रोडक्‍शन घटा दिया, तब भी उसकी इकोनॉमी पर कोई खास असर नहीं होगा. मॉर्गन के अलावा अन्‍य ब्रोकरेज की रिपोर्ट (सिटी को छोड़कर) देखें, तो ओपेक देशों की ओर से टारगेट के मुताबिक उत्‍पादन नहीं हो पाया है. इसकी बड़ी वजह यह है कि ऑयल एंड गैस सेक्‍टर में नई कैपेसिटी नहीं आ रही है. इसके चलते भी कच्‍चे तेल के दाम को सपोर्ट मिलेगा.

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क्रूड पर CITI क्‍यों है बीयरिश 

सिटी का कहना है कि ऐसा संभव है कि रूस तेल की सप्‍लाई अमेरिका और यूरोप के देशों को न करे. लेकिन एशियाई देशों को रूस की ओर से सप्‍लाई बढ़ती रहेगी. इसके चलते कच्‍चा तेल यहां से आगे बढ़ नहीं पाएगा. सिटी का कहना है कि कच्‍चा तेल 65 डॉलर तक फिसल सकता है. वहीं, अगर गिरावट बनी रहती है, तो 45 डॉलर का भी भाव देखने को मिल सकता है. दूसरी ओर, अगर दुनियाभर में एनर्जी, कमोडिटीज की कीमतों में गिरावट है. ऐसे में क्रूड अपनी तेजी को कैसे बनाए रखेगा.  

सिटी का रिपोर्ट का कहना है कि अगर मंदी नहीं आती है, तो भी कच्‍चा तेल 85 डॉलर का असर देखने को मिलेगा. सिटी का कहना है कि डॉलर में मजबूती आएगी, तो क्रूड अपनी बढ़त को सस्‍टेन नहीं कर पाएगा. क्‍योंकि कमोडिटीज और डॉलर का इन्‍वर्स कोरिलेशन होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 10 फीसदी उम्‍मीद क्रूड के 65-45 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने की है. वहीं, 50 फीसदी संभावना 85 डॉलर तक जाने की है. यह भी मौजूदा भाव से काफी कम है. इसके अलावा, 30 फीसदी उम्‍मीद है कि क्रूड 120 का लेवल भी दिखा सकता है.