कच्चे तेल में लगेगी आग! ये इंटरनेशनल फैक्टर्स बढ़ाएंगे क्रूड पर टेंशन, 80 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है कीमत
Crude Oil Price: मध्य-पूर्व संघर्ष बढ़ने और ईरान के तेल क्षेत्रों को नुकसान पहुंचने के साथ ही तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है.
Crude Oil Price: मध्य-पूर्व संघर्ष बढ़ने और ईरान के तेल क्षेत्रों को नुकसान पहुंचने के साथ ही तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेंट क्रूड का कारोबार 75-80 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में जारी रहने का अनुमान है. ब्रेंट वर्तमान में 74 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है और बाजार में अधिकतर समय इस रेंज के निचले हिस्से में कारोबार हुआ.
क्यों है क्रूड को लेकर टेंशन?
एमके वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, "मध्य-पूर्व संघर्ष के इर्द-गिर्द की घटनाओं ने बाजार में थोड़ी चिंता पैदा कर दी है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए ब्रेंट क्रूड 75-80 डॉलर प्रति बैरल के समान मूल्य बैंड में कारोबार करना जारी रखेगा."
सप्लाई हुआ डिस्टर्ब तो बढ़ेगी कीमतें
कच्चे तेल की कीमतें कमजोर हैं, क्योंकि बुनियादी कारक उच्च तेल कीमतों का समर्थन नहीं करते हैं और ईरान में तेल क्षेत्रों पर कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है. हालांकि, आतंकियों के हमले की वजह से यातायात में किसी तरह की बाधा आती है और ईरानी तेल क्षेत्रों को किसी तरह की क्षति पहुंचती है, तो तेल की आपूर्ति में परेशानी आ सकती है. तेल की आपूर्ति में बाधा आने के साथ तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं.
ईरान पर अभी भी है अमेरिकी प्रतिबंध
रिपोर्ट में कहा गया है, " जहां तक पेट्रोलियम उत्पादों का सवाल है, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी लागू हैं और उन्हें और कड़ा कर दिया गया है. लेकिन, तत्काल चिंता का विषय बनने वाले इन क्षेत्रीय मुद्दों से परे, बुनियादी कारक उच्च तेल कीमतों का समर्थन नहीं करते हैं."
ओपेक, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) और अमेरिकी ईआईए के अनुमान आगामी वर्ष में तेल की अधिक आपूर्ति की तस्वीर पेश करते हैं. ये अनुमान ज्यादा आपूर्ति को लेकर अलग हैं, लेकिन इनमें एक बात समान है कि आपूर्ति, मांग वृद्धि से अधिक है.
दूसरा तथ्य यह है कि चीन से तेल की मांग कमजोर बनी हुई है. यह बीते तीन महीनों में और भी साफ हो चुका है. स्थानीय बाजार में मुख्य रूप से डीजल और गैसोलीन की कमजोर मांग इसका एक कारण बताया जा रहा है. पिछले तीन महीनों में चीन में तेल रिफाइनिंग में भी कमी आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, यह वैश्विक तेल मांग वृद्धि में चीनी मांग की हिस्सेदारी में महत्वपूर्ण गिरावट का संकेत हो सकता है.