Crude Oil Price: ओपेक प्लस देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने का फैसला लिया. इसके बावजूद इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत पर दबाव है और यह सात महीने के न्यूनतम स्तर पर है. सस्ते क्रूड का पेट्रोल और डीजल के रिटेल भाव पर कोई असर नहीं दिख रहा है. 6 अप्रैल के बाद से देश में पेट्रोल और डीजल का रेट (Petrol Diesel Price) फ्रीज है. रिकॉर्ड 158 दिनों से कीमत में बदलाव नहीं करने को लेकर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि करीब पांच महीने तक नुकसान झेलते हुए पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की थी. उसकी वजह से अब ये कंपनियां कीमतें नहीं घटा रही हैं.

90 डॉलर के नीचे फिसला था क्रूड ऑयल

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इसी सप्ताह ओपेक प्लस देशों ने अक्टूबर से रोजाना आधार पर 1 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल प्रोडक्शन कट का फैसला किया. दरअसल, ग्लोबल इकोनॉमी इस समय उच्च महंगाई दर और मंदी की गलियारों से गुजर रही है. मंदी की आहट के कारण फरवरी के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड का भाव 90 डॉलर के नीचे आया है. इस सप्ताह ब्रेंट क्रूड 92.84 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ जो छह महीने का निचला स्तर है. WTI क्रूड 86.79 डॉलर के स्तर पर बंद हुआ है.

डिमांड आउटलुक कमजोर दिख रहा है

IIFL सिक्यॉरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट, कमोडिटी, अनुज गुप्ता ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत पर दो फैक्टर का असर दिख रहा है. इंट्रेस्ट रेट को लेकर दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अग्रेसिव रुख अपना रहे हैं. दूसरी तरफ चीन कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के कारण अलग-अलग शहरों में पाबंदियांन लागू कर रहा है. इससे डिमांड आउटलुक कमजोर हो रहा है. छुट्टी के दिन घर से नहीं निकलने का निर्देश जारी किया गया है.

कच्चे तेल की कीमत पर दबाव जारी रहेगा

कोटक सिक्यॉरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट, कमोडिटी रिसर्च, रविंद्र राव ने कहा कि चीन में आर्थिक सुधार पर असर दिख रहा है. वह वायरस से अभी तक जूझ रहा है. रूस से क्रूड ऑयल को लेकर सप्लाई रिस्क बना हुआ है. कुल मिलाकर कच्चे तेल के लिए डिमांड आउटलुक भी कमजोर है और सप्लाई साइड की समस्या भी बरकरार है. ऐसे में कीमत पर दबाव जारी रहेगा.

88 डॉलर प्रति बैरल के भाव से तेल खरीदा भारत

कुल मिलाकर भारत के लिए सस्ता कच्चा तेल अच्छी खबर है, क्योंकि देश जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है. भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल का भाव आठ सितंबर को 88 डॉलर प्रति बैरल बैठ रहा था. अप्रैल में यह औसत 102.97 अरब डॉलर प्रति बैरल और उसके बाद के महीने में यह 109.51 डॉलर प्रति बैरल था. जून में यह 116.01 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था. जुलाई से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट आना शुरू हुई. उस समय भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल का औसत भाव 105.49 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. अगस्त में यह 97.40 डॉलर प्रति बैरल और सितंबर में अबतक 92.87 डॉलर प्रति बैरल पर है.