RBI का इकोनॉमी को सबसे बड़ा बूस्टर, रेपो रेट में 0.75% की कटौती, बैंकों को EMI घटाने की सलाह
देशभर में लॉकडाउन के बीच रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक रेपो रेट में कटौती की है. रेपो रेट की यह कटौती आरबीआई इतिहास की सबसे बड़ी है. कोरोना से राहत देने के लिए रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती की गई है.
महामारी कोरोना से लड़ने के लिए इकोनॉमी को लगातार मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. देशभर में लॉकडाउन के बीच रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बड़ी कटौती की है. आरबीआई ने कोरोना से राहत देने के लिए रेपो रेट को 0.75 फीसदी घटा दिया है. कटौती के बाद रेपो रेट 5.15 फीसदी से घटकर 4.40 फीसदी हो गया है. रेपो रेट की यह कटौती आरबीआई इतिहास की सबसे बड़ी है.
रिवर्स रेपो में 90 बेसिस प्वाइंट की कटौती
आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट भी 90 बेसिस पॉइंट की कटौती के साथ 4 फीसदी कर दिया है. बीते दो मौद्रिक समीक्षा बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को लेकर कोई फैसला नहीं लिया था. रेपो रेट कटौती का फायदा होम, कार या अन्य तरह के लोन सहित कई तरह के EMI भरने वाले करोड़ों लोगों को मिलने की उम्मीद है.
बैंकों को मिली बड़ी छूट
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से कैश फ्लो में कमी आई है. कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके 3 प्रतिशत कर दिया गया है. एक साल तक की अवधि के लिए इसे घटाया गया है. आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, सभी कमर्शियल बैंकों को ब्याज और कर्ज अदा करने में 3 महीने की छूट दी जा रही है. इस फैसले से 3.74 करोड़ रुपए की नकदी सिस्टम में आएगी.
तय समय से पहले हुई मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा वित्तीय स्थितरता के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. Covid 19 को देखते हुए आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक तय समय से पहले की गई. 31 मार्च से 3 अप्रैल को होने वाली बैठक को 24, 26 और 27 अप्रैल को किया गया. मॉनिटरी पॉलिसी के 6 में से 4 सदस्यों ने ब्याज दरें घटाने के पक्ष में वोट किया.
आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा..
- वित्तीय मोर्चे पर मौजूदा स्थिति में मजबूत कदम उठाने होंगे.
- फाइनेंशियल मार्केट पर फिलहाल काफी दबाव है.
- लॉकडाउन के कारण GDP में गिरावट का अनुमान है.
- घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे.
- पिछले MPC बैठक से अबतक मार्केट में ₹2.8 लाख करोड़ की लिक्विडिटी डाली गई.
- भारत की मैक्रो इकोनॉमी 2008 के मुकाबले काफी मजबूत.
- बैंक, NBFCs को टर्म लोन पर 3 महीने की मोहलत.
- वर्किंग कैपिटल पर ब्याज भुगतान फिलहाल टाला.
- बैंकों में डिपॉजिटर्स का पैसा पूरी तरह सुरक्षित.
- ग्राहक बैंकों से पैसा निकालने को लेकर पैनिक न करें.
- ग्राहकों से अपील है कि डिजिटल सर्विस का इस्तेमाल करें.
- मार्जिन स्टैंडिंग फैसिलिटी कैप 2% से बढ़कर 3% की.
EMI में मिल सकती है बड़ी छूट
आरबीआई ने बैंकों को 3 महीने तक EMI में छूट देने की सलाह दी है. बता दें आरबीआई ने बैंकों को सिर्फ सलाह दी है, आदेश नहीं दिया गया है. मतलब ये है कि अब बैंकों तय करेंगे कि उन्हें EMI में छूट देनी है या नहीं. साथ ही बैंक ही ये तय करेंगे कि वो कौन से लोन पर EMI की छूट दे रहे हैं. मतलब रिटेल, कमर्शियल या दूसरे तरह के लोन लेने वाले लोगों के लिए अब भी एक तरह का कन्फ्यूजन बना हुआ है. हालांकि, आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में कटौती का फैसला ऐतिहासिक है.
फरवरी 2019 से 2.10% घट चुकी हैं दरें
पिछली दो बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था. पिछले साल 4 अक्टूबर 2019 को आरबीआई ने ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की थी और तब रेपो रेट 5.15 फीसदी रह गया था. साल 2019 में फरवरी से अक्टूबर के बीच लगातार 5 बार दरों में कटौती की गई थी और तब तक कुल कटौती 135 बेसिस प्वॉइंट की रही थी. अब इस कटौती के बाद रेपो रेट में फरवरी 2019 के बाद से 2.10 फीसदी की कटौती हो चुकी है.
इकोनॉमी पर कोरोना का अटैक
महामारी कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल चुका है. इससे पूरी ग्लोबल इकोनॉमी प्रभावित हुई है. दुनियाभर के देश अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित है. घरेलू कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं. कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजे पर भी कोरोना का असर साफ देखने को मिल सकता है. यही वजह है कि सरकार और आरबीआई इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए लगातार जोर दे रही है.
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वित्त मंत्री ने भी दिया था बूस्टर डोज
इससे पहले गुरुवार को वित्त मंत्री ने भी इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया था.