Core Industries India: कोर इंडस्ट्रीज का प्रोडक्शन अप्रैल में जोरदार बढ़ा, 6 महीने में रहा सबसे ज्यादा
Core Industries production: मार्च 2022 में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली जैसे आठ बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के उत्पादन में 4.9 प्रतिशत की ग्रोथ हुई थी.
Core Industries production: कोयला, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से आठ कोर इंडस्ट्रीज (बुनियादी उद्योगों) के प्रोडक्शन में अप्रैल, 2022 में एक साल पहले के इसी महीने के मुकाबले 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. यह पिछले छह महीने में सबसे ज्यादा ग्रोथ है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, मंगलवार को जारी ऑफिशियल आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2022 में कोयला (Coal), कच्चा तेल (Crude Oil), प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली जैसे आठ बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के उत्पादन में 4.9 प्रतिशत की ग्रोथ हुई थी.
इन प्रमुख क्षेत्रों में ग्रोथ रहा शानदार
खबर के मुताबिक, निम्न तुलनात्मक आधार के चलते अप्रैल 2021 के दौरान इन प्रमुख क्षेत्रों में असाधारण रूप से 62.6 प्रतिशत की हाई ग्रोथ देखने को मिली. अप्रैल 2020 में कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ के चलते कारोबारी गतिविधियां दरअसल पूरी तरह से बंद रही थी. कोर इंडस्ट्रीज (Core Industries) के प्रोडक्शन में यह ग्रोथ अक्टूबर, 2021 के बाद से सबसे ज्यादा है. तब आठ प्रमुख क्षेत्रों में 8.7 प्रतिशत की ग्रोथ हुई थी.
कच्चे तेल का उत्पादन घटा
आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2022 में कोयला उत्पादन 28.8 प्रतिशत, बिजली उत्पादन 10.7 प्रतिशत, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन 9.2 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस उत्पादन 6.4 प्रतिशत, उर्वरक 8.7 प्रतिशत और सीमेंट उत्पादन में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. वहीं दूसरी तरफ, कच्चे तेल का उत्पादन अप्रैल में 0.9 प्रतिशत घट गया. एक साल पहले इसी महीने में इसमें 2.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी. स्टील (इस्पात) का उत्पादन भी पिछले महीने के दौरान 0.7 प्रतिशत घट गया.
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अर्थशास्त्री का क्या है कहना
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल में कोर इंडस्ट्रीज (Core Industries production) की ग्रोथ रेच छह महीने के सबसे ऊंचे लेवल 8.4 प्रतिशत पर रही, लेकिन यह हमारे 11 से 12 प्रतिशत की ग्रोथ की उम्मीद से काफी कम है. इसकी मुख्य वजह इस्पात और कच्चे तेल के उत्पादन में कमी का होना है.