वित्‍त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में प्रस्‍ताव किया है कि सभी प्रकार की फाइनेंशियल सिक्‍योरिटीज (Financial Securities) के कारोबार में एकसमान स्टाम्प शुल्क दर का प्रस्ताव किया है. अगर यह प्रस्‍ताव पास हो जाता है तो इससे ब्रोकरों के लिए कारोबार में आसानी होगी.

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अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार ने पिछले साल वादा किया था कि वह स्टाम्प शुल्क लगाने और वित्तीय प्रतिभूति लेन-देन पर संग्रहण में सुधार लाएगी. भारतीय स्टाम्प कानून में संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है.

क्या होती है स्टांप ड्यूटी

शेयरों/डिबेंचर जैसी फाइनेंशियल सिक्‍योरिटी की खरीद-बिक्री और प्रॉपर्टी सौदे में स्टांप ड्यूटी लगती है. स्टांप ड्यूटी की अधिक दरों के कारण ही प्रॉपर्टी सौदे में ब्लैक मनी का चलन बढ़ता है. स्टांप ड्यूटी एक्ट के तहत शेयर/डिबेंचर पर टैक्स की दरें केंद्र द्वारा तय होती हैं, जबकि राज्य इस रेट का पालन नहीं करते. हर राज्‍य में स्‍टांप ड्यूटी अलग है.

बजट भाषण में पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘इन प्रस्तावित संशोधनों से एक तर्कसंगत प्रणाली बन सकेगी. स्टाम्प शुल्क एक लेनदेन से संबंधित किसी एक उत्पाद पर लगाया जाएगा और इसे शेयर बाजारों के जरिये एक ही स्थान पर संग्रहीत किया जा सकेगा. 

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी धीरज रेली ने कहा कि सरकार ने देशभर में प्रतिभूति लेनदेन पर एक स्टाम्प शुल्क दर का प्रस्ताव किया है. इससे मुकदमेबाजी कम हो सकेगी और प्रक्रियागत दिक्कतें कम होंगी.