चीन में सरकारी आंकड़ों के मुकाबले वहां की अर्थव्यवस्था करीब 12 प्रतिशत कम है और हाल के वर्षों के दौरान वास्तविक विकास दर सरकारी आंकड़ों के मुकाबले करीब 2 प्रतिशत कम है. वाशिंगटन स्थिति थिंकटैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट (Brookings Institution) की रिसर्च - फॉरेंसिक एक्जामिनेशन ऑफ चाइनाज़ नेशनल एकाउंट (A forensic examination of China’s national accounts) में यह दावा किया गया है. 

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रिसर्च में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि चीन की मंदी सरकार जितना बता रही है, उसके मुकाबले अधिक गंभीर है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. यदि रिसर्च के दावों के सच माना जाए तो चीन की वास्तविक विकास दर 4.4 प्रतिशत होगी, जो भारत के मुकाबले बहुत कम है. भारत की विकास दर 6.6 प्रतिशत है. पूरी रिसर्च को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है.

रिसर्च में 2008 से 2016 तक के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है और इस वजह से इसमें पिछले साल के ग्रोथ इस्टीमेट नहीं शामिल हैं. लेकिन अगर 2018 में भी विकास दर उसी रफ्तार से बढ़ी है, जैसा कि लेखक का 2016 के लिए अनुमान है तो चीन की वास्तविक जीडीपी 10.8 ट्रिलियन युवान (1.6 ट्रिलियन डॉलर) होनी चाहिए, जो सरकारी आंकड़ों के मुकाबले काफी कम है. चीन में ग्रोथ राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है.

रिसर्च में बताया गया है कि चीन में नेशनल एकाउंट लोकल गवर्नमेंट द्वारा जुटाए आंकड़ों पर आधारित है. चूंकि लोकल गवर्नमेंट को ग्रोथ और इनवेस्टमेंट के टार्गेट पूरा करने पर पुरस्कार दिया जाता है, इसलिए वे उसमें हेराफेरी कर देते हैं. चीन का नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स लोकल गवर्नमेंट द्वारा दिए डेटा का इस्तेमाल जीडीपी की गणना के लिए करता है. रिसर्च में कहा गया है कि लोकल आंकड़ों में 2008 के बाद से सच्ची तस्वीर नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन एनबीएस ने इस पर खास ध्यान नहीं दिया है.