केमिकल के इस्तेमाल का दायरा लगातार बढ़ते जा रहा है. चाहे वह फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज (खाद्य प्रसंस्करण), पर्सनल केयर हो या फिर होम केयर या फिर इंडस्ट्रियल केमिकल, सभी जगह इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. इन सेक्टर में केमिकल की मांग से भारत के स्पेश्यालिटी केमिकल मार्केट में तेजी देखने को मिल रही है. भारत के केमिकल इंडस्ट्री का दायरा काफी बड़ा है. इसे आप कई अलग कैटेगरी में बांट सकते हैं. मसलन उदाहरण के तौर पर बल्क केमिकल, स्पेश्यालिटी केमिकल, एग्रोकेमिकल, पेट्रोकेमिकल्स, पॉलीमर्स और फर्टिलाइजर शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक 80000 कमर्शियल प्रोडक्ट्स का उत्पादन किया जाता है.     

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वैश्विक स्तर पर भारत एग्रोकेमिकल का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है. इस सूची में अमेरिका, जापान और चीन का स्थान क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं. जहां तक डाईस्टफ और डाई इंटरमीडियरीज का सवाल है तो भारत की हिस्सेदारी वैश्विक उत्पादन में 16 फीसदी है. वैश्विक स्तर पर केमिकल एक्सपोर्ट में भारत का स्थान 14वां है जबकि इंपोर्ट में 8वें स्थान पर है. खास बात यह है कि इसमें फार्मास्यूटिकल्स शामिल नहीं है. मिडिल-ईस्ट देशों के भारत के करीब होने से पेट्रोकेमिकल का फायदा आसानी से मिलता है.

केमिकल इंडस्ट्री का साइज

भारत में केमिकल इंडस्ट्री तेजी से विकास कर रहा है. 2019 में केमिकल इंडस्ट्री जहां 17800 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था वहीं इसके 2025 तक 30400 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. केमिकल इंडस्ट्री में सालाना 9.3 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद है. जहां केमिकल की मांग का सवाल है तो इसमें 2025 तक सालाना 9 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. 2025 तक केमिकल इंडस्ट्री का देश के जीडीपी में करीब 30000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के योगदान का अनुमान है.

केमिकल सेक्टर में बढ़ता निवेश

आने वाले सालों में मांग बढ़ने से कंपनियों को विस्तार भी करने की जरूरत पड़ेगी. एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक भारतीय केमिकल और पेट्रोकेमिकल सेक्टर में करीब 8 लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है. देश के कुल केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल्स में स्पेश्यालिटी केमिकल की हिस्सेदारी करीब 22 फीसदी है. क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय केमिकल मैन्युफैक्चर्रस ने वित्त वर्ष 2015-2021 के दौरान सालाना 11 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की है. इससे भारत की वैश्विक स्तर पर स्पेश्यालिटी केमिकल्स में हिस्सेदारी 3 फीसदी से बढ़कर 4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है.

अवसरों का फायदा उठाने के लिए कंपनियों की "केमिकल बॉन्डिंग"

भारतीय कंपनियां ग्रीन मेथनॉल प्लांट लगाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. इस दिशा में सरकारी पावर कंपनी एनटीपीसी की सब्सिडियरी एनटीपीसी रिन्युएबल एनर्जी लिमिटेड  (NTPC REL) ने गुजरात अलकलीज एंड केमिकल्स लिमिटेड के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर भी किया है जिसके तहत भारत का पहला कमर्शियल ग्रीन अमोनिया और ग्रीन मेथनॉल प्लांट लगाया जाएगा. कोरोना के बाद वैश्विक स्तर पर ज्यादातर देश चीन से केमिकल की आपूर्ति को लेकर दूरी बना रहे हैं, ऐसे में केमिकल सेक्टर में ग्रोथ के लिए भारत के पास सुनहरा मौका है.

नीतिगत मदद

सरकार भी नीतियों के जरिए केमिकल इंडस्ट्री को सपोर्ट करना चाहती है. सरकार केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल्स को मदद करने के लिए PLI स्कीम का ऐलान कर सकती है. सरकार का 2040 तक मौजूदा उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर तिगुना करने का लक्ष्य है. अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 तक केमिकल सेक्टर में 2075 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश हो चुका है. इसमें फर्टिलाइजर सेक्टर शामिल नहीं है.

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