मोदी सरकार ने छोटे कारोबारियों के लिए जीएसटी (GST) में पंजीकरण से छूट के लिए वार्षिक कारोबार की सीमा बढ़ाकर 40 लाख रुपये करने के निर्णय को गुरुवार को अधिसूचित किया. इसके तहत यह छूट 1 अप्रैल से लागू होगी. इससे छोटे एवं मझोले उद्यमों को लाभ होगा. इसके अलावा 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयों को एक मुश्त कर (कंपोजीशन) की योजना भी एक अप्रैल से लागू होगी. 

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साथ ही सेवा प्रदाता तथा वस्तु एवं सेवा दोनों के आपूर्तिकर्ता जीएसटी की एक मुश्त योजना का विकल्प अपनाने के लिये पात्र हैं और 6 प्रतिशत की दर से अगले वित्त वर्ष की शुरूआत से कर दे सकते हैं. पर इसके लिए उन्हें इनपुट कर का लाभ नहीं मिलेगा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने 10 जनवरी को ये निर्णय किये थे. परिष्द में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं. वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार ये निर्णय 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे. 

बयान में कहा गया है, ‘‘वस्तुओं की आपूर्तिकर्ताओं के लिए जीएसटी के तहत पंजीकरण और भुगतान से छूट के लिये दो सीमा है. एक सीमा 40 लाख रुपये और दूसरी सीमा 20 लाख रुपये है. राज्यों के पास एक सीमा अपनाने का विकल्प है.’’ 

सेवा प्रदाताओं के पंजीकरण के लिये सीमा 20 लाख रुपये तथा विशेष श्रेणी वाले राज्यों के मामले में सीमा 10 लाख रुपये है. साथ ही जीएसटी एक मुश्त योजना के तहत अब 1.5 करोड़ रुपये के कारोबार वाले कारोबारी आएंगे जबकि अबतक यह सीमा 1.0 करोड़ थी. इसके तहत कारोबारियों को एक प्रतिशत कर देना होता है. यह एक अप्रैल से प्रभावी होगा.