सरकार एक बार फिर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी. एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.4 प्रतिशत अधिक रहने की आशंका है और अगले साल के लिए इसका लक्ष्य बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत रखे जाने का अनुमान है. विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है. 

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3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान

नोट में कहा गया है, ‘‘हमारा अनुमान है कि सरकार वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत रखेगी. जबकि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह तय लक्ष्य से 0.4 प्रतिशत अधिक होगा. सरकार ने 2018- 19 में राजकोषीय घाटा देश की जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. इससे पिछले वर्ष 3.2 प्रतिशत के बजट अनुमान के मुकाबले यह संशोधित अनुमान में 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गया था. 

सरकार कर्ज नहीं लेगी

चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक सरकार ने बजट में तय बाजार उधारी का 115 प्रतिशत खर्च कर लिया था. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कम रहने तथा विनिवेश के मोर्चे पर खराब प्रदर्शन की वजह से यह स्थिति बनी है. विनिवेश के 80,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के समक्ष सरकार अब तक सिर्फ 15,000 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है. रिपोर्ट में हालांकि, कहा गया है कि सरकार संभवत: घाटे को पूरा करने के लिये और कर्ज नहीं लेगी और इस अंतर की भरपाई रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध सरकार की बकाया राशि से की जाएगी, जो मार्च, 2018 के अंत में 1,675 अरब रुपये था. 

बजट में ग्रामीण क्षेत्र की समस्या पर होगा दोर

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सरकार की शुद्ध उधारी वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 5,070 अरब रुपये रहेगी. यहां गौरतलब है कि बजटीय लक्ष्य पार जाने के बावजूद सरकार लगातार कह रही है कि वह वित्त वर्ष 2018-19 के 3.3 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार आगामी 1 फरवरी को आम चुनाव से पहले अंतिम बजट में ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं दूर करने का प्रयास करेगी. इनमें ब्याज सहायता-प्रत्यक्ष धन अंतरण आदि उपाय शामिल हो सकते हैं.

(इनपुट एजेंसी से)