केंद्र ने राज्य पशुपालन विभागों के फंड का उपयोग नहीं करने पर जताया अफसोस, पशुओं के जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन पर जोर दिया
Animal Husbandry: विश्व पशु चिकित्सा दिवस (World Veterinary Day) के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने तत्कालिक आंकड़ा रखने के लिए पशुओं के जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन पर जोर दिया.
Animal Husbandry: केंद्र सरकार ने राज्य पशुपालन विभागों को दिए जाने वाले फंड का इस क्षेत्र के विकास के लिए पूरी तरह उपयोग नहीं होने पर अफसोस जताया है और उन्हें परियोजनाएं लागू करने के लिए फंड खर्च करने के लिए कहा है. विश्व पशु चिकित्सा दिवस (World Veterinary Day) के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने तत्कालिक आंकड़ा रखने के लिए पशुओं के जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन पर जोर दिया.
विश्व पशु चिकित्सा दिवस पशु चिकित्सा क्षेत्र के लोगों के सम्मान में प्रतिवर्ष अप्रैल के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है. रूपाला ने कहा कि सरकार पशुओं की नियमित गणना कराती है लेकिन फिलहाल मानवों की तरह पशुओं के जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
जीवन-मृत्यु का पता लगाने का कोई वैज्ञानिक तरीका होना चाहिए
उन्होंने कहा कि यह इस क्षेत्र में एक खामी है. उन्होंने इस अंतर को दूर करने पर काम करने के लिए जोर दिया. उन्होंने कहा कि पशुओं के जीवन-मृत्यु का पता लगाने का कोई वैज्ञानिक तरीका होना चाहिए क्योंकि ताजा आंकड़ों से सभी संबंधित लोगों को लाभ मिलेगा और ज्यादा बढ़ोतरी हासिल करने में मदद मिलेगी.
मवेशी गणना में सभी घरेलू पशु आते हैं. इनमें मवेशियों की 16 प्रजातियां होती हैं. 2019 की गणना के अनुसार, देश में 53.67 करोड़ पशु हैं.
बीरमारियों से निपटने के लिए खर्च होंगे 12,500 करोड़ रुपये
इस कार्यक्रम में बोलते हुए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले कुछ वर्षों में इस मंत्रालय के बजट आवंटन में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि खुरपका और मुंहपका रोग और ब्रुसेलोसिस से निपटने के लिए 12,500 करोड़ रुपये के खर्च की घोषणा की गई है.
बालियान हम (केंद्र) पैसे खर्च नहीं करते. राज्य करते हैं. हम इस क्षेत्र में परियोजनाएं शुरू करने के लिए राज्यों को धन उपलब्ध कराते हैं. टीकाकरण प्रक्रिया केंद्र के अधीन है और 100 फीसदी केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है.