खरीफ सीजन में 518 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य, पिछले साल की तुलना में 1.6% अधिक
Kharif Marketing Season: खाद्य मंत्रालय ने बयान में कहा कि चालू खरीफ विपणन सत्र के लिए 518 लाख टन चावल की सरकारी खरीद का अनुमान रखा गया है. पिछले साल के खरीफ सत्र में 509.82 लाख टन चावल की खरीद की गई थी.
Kharif Marketing Season: सरकार ने चालू खरीफ सीजन (Kharif Season) के लिए केंद्रीय पूल में 518 लाख टन चावल की खरीद का अनुमान जारी किया है, जो पिछले साल की तुलना में 1.60% अधिक है. पिछले सीज़न में 509 लाख टन खरीद हुई थी. केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय की अध्यक्षता में चावल खरीद और बुवाई पर राज्यों के साथ केंद्र की बैठक में चर्चा हुई . बैठक में चावल खरीद का अनुमान तय किया गया. इस बैठक में राज्यों के खाद्य सचिवों के अलावा भारतीय खाद्य निगम (FCI) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
पिछले साल से 9 लाख टन अधिक होगी खरीदारी
खाद्य मंत्रालय ने बयान में कहा कि चालू खरीफ विपणन सत्र के लिए 518 लाख टन चावल की सरकारी खरीद का अनुमान रखा गया है. पिछले साल के खरीफ सत्र में 509.82 लाख टन चावल की खरीद की गई थी.
कम बारिश से धान के रकबे में आई गिरावट
सरकारी पूल में खरीदे जाने वाले चावल का यह अनुमान इस साल बारिश की कमी की वजह से धान के रकबे में आई गिरावट को देखते हुए काफी अहम है. एक अनुमान के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक धान की बुवाई का रकबा करीब 6% कम है. इसकी वजह से जानकार चावल के उत्पादन में कमी की आशंका जता रहे हैं.
Climate Change का गेहूं और चावल की उपज पर असर
इस बैठक में खाद्य सचिव ने राज्य सरकारों से मोटे अनाजों की खरीद पर विशेष ध्यान देने को भी कहा. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गेहूं एवं चावल की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, लिहाजा मोटे अनाजों पर ध्यान रखने की जरूरत है. इसके चलते इस खरीफ खरीदारी सीजन में राज्यों से 13.70LMT मोटा अनाज खरीदने को कहा गया है. अभी तक राज्यों ने 6.30 LMT मोटा अनाज खरीदा है.
सरकार धान की खरीद करती है जिसे मिलों में भेजकर चावल में प्रसंस्कृत किया जाता है. एफसीआई के अलावा राज्यों के अपने संगठन भी सरकार की तरफ से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर इसकी खरीद करते हैं.
खरीद प्रक्रिया किफायती बनाने के तरीकों पर विचार
इसके अलावा बैठक में मशीनीकृत खरीद व्यवस्था लागू करने पर चर्चा हुई. कम ब्याज दर पर उधार की जरूरत पर बल दिया गया. खरीद प्रक्रिया को किफायती बनाने के तरीकों पर चर्चा हुई.