15 अक्टूबर से शुरू हो रहे त्योहारी सीज़न को देखते हुए कन्फ़ेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ने सरकार से माँग की है की ई कामर्स पर जल्द पॉलिसी लाए. जिससे ई कामर्स कम्पनियाँ इस वर्ष तयोहारी सीजन में मनमानी न कर सकें. पॉलिसी के अभाव में हर वर्ष ई कामर्स कम्पनियाँ लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना ,भारी डिस्काउंट देना आदि अनेक प्रकार के तरीके अपनाती हैं. इससे छोटे कारोबारियों को नुकसान होता है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु से कैट ने यह भी आग्रह किया है की ई कामर्स कम्पनियाँ केवल कुछ चंद विक्रेताओं को ही अपने पोर्टल पर बिक्री का मौका देती हैं इसलिए इन कम्पनियों के चहेते विक्रेताओं को भी माल बेचने से रोका जाना चाहिए.                                                  

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सरकार ने कुछ दिन पहले ड्राफ्ट जारी किया था

सरकार ने ईकामर्स पर नीति के लिए पहला दस्तावेज़ कुछ दिन पहले जारी किया था जिसकी समीक्षा के लिए अब सचिवों की एक समिति भी गठित की गई है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की इस मुद्दे पर डेटा को स्थानीय रूप से रखना और एफडीआई का गलत इस्तेमाल न होने पाए इस पर पॉलिसी में अंकुश रखना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सरकार को इनफोर्समेंट निदेशालय में एक अलग विभाग बनाना चाहिए जो ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा की जा रही नीयमों की अंदेखी पर नजर रखे. यह सुनिश्चहित करना ज़रूरी है की एफडीआई आधारित कम्पनियां सरकार की नीतियों का उल्लंघन न कर सकें.                                

एफडीआई के आधार पर इनवेंट्री रखने की छूट देना घातक

 ड्राफ्ट पॉलिसी में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश को इनवेंट्री रखने की इजाज़त देना बेहद ही घातक प्रस्ताव है. इस प्रस्ताव को सरकार रद्द करे क्योंकि देश के व्यापारी किसी भी हालत में इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं होने देंगे. ड्राफ्ट पॉलिसी में एक रेग्युलटॉरी अथॉरिटी के गठन के बारे में कहा गया है. इस प्रस्ताव का सभी व्यापारी स्वागत करते हैं. लेकिन इस अथॉरिटी को अधिकार सम्पन्न बनाना होगा और पॉलिसी के उल्लंघन के मामले में दंडित करने का अधिकार भी अथॉरिटी के पास होना चाहि. पॉलिसी में छोटे व्यापारियों को तकनीकी रूप से दक्ष करने की व्यवस्था भी होनी जरूरी है.