नई दिल्‍ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चीनी उद्योग के लिए 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही 2018-19 के लिए चीनी के निर्यात पर इंसेंटिव देने के मामले में भी कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई है. चीनी मिलें अब 50 लाख टन चीनी का निर्यात कर सकेंगे. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल कमेटी (CCEA) ने खाद्य मंत्रालय के उस प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है जिससे देश के अतिरिक्‍त चीनी स्‍टॉक का निर्यात किया जा सके. साथ ही चीनी मिलों को लगभग 13,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में मदद मिल सके. कुछ राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होने हैं साथ ही 2019 के मध्‍य में लोकसभ चुनाव भी होने हैं. ऐसे में केंद्र सरकार चाहती है कि गन्‍ना किसानों के भुगतान मुद्दों का समाधान हो सके.

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चीनी उद्योग के लिए सरकार की तरफ से यह दूसरा वित्‍तीय पैकेज है. आपको याद होगा कि केंद्र सरकार ने इइस साल जून में चीनी उद्योग के लिए 8,500 करोड़ रुपये के वित्‍तीय पैकेज को मंजूरी दी थी.

विपणन वर्ष 2017-18 (अक्‍टूबर-सितंबर) में 3.2 करोड़ टन के रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से उद्योग के सामने चीनी के अधिक भंडार की समस्या हो गई है. इस माह के अंत तक चीनी का स्टॉक एक करोड़ टन था. देश में अत्यधिक चीनी उत्पादन की स्थिति से निपटने की वृहद नीति के तहत मंत्रालय ने गन्ने के उत्पादन की लागत के असर को कम करने के लिए उत्पादकों को 2018-19 के विपणन वर्ष के लिए दी जाने वाली उत्‍पादन सहायता बढ़ाकर 13.88 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव किया था. इस साल के लिए यह 5.50 रुपये प्रति क्विंटल है.

वैश्विक बाजार में इस समय चीनी की कीमतें कम चल रहीं हैं. इस वजह से मंत्रालय ने मिलों को 2018-19 के लिए न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) के तहत 50 लाख टन चीनी निर्यात में मदद का प्रस्ताव किया है. इसके निर्यात की चीनी पर देश के अंदर परिवहन और पल्लेदारी तथा अन्य शुल्कों पर मिलों के खर्च की भरपाई की जाएगी.

सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने बंदरगाह से 100 किलोमीटर के दायरे में स्थित मिलों को 1,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी, जबकि तटीय राज्यों में बंदरगाह से 100 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित मिलों के लिए 2,500 रुपये प्रति टन तथा तटीय राज्यों के अलावा स्थित मिलों के लिए 3,000 रुपये प्रति टन की परिवहन सब्सिडी का प्रस्ताव किया है. सरकार मिलों की तरफ से गन्ना उत्पादन सहायता किसानों के खातों में सीधे हस्तांतरित करेगी. यह कदम मिलों पर किसानों के बकाया 13,500 करोड़ रुपये के निपटान में मदद के लिए उठाया जा रहा है.

सूत्रों ने इससे पहले बताया था कि सरकार को चीनी मिलों और गन्ना किसानों के लिए इन उपायों की वजह से करीब 4,500 करोड़ रुपये का बोझ उठाना पड़ेगा. इन कदमों से चीनी का निर्यात बढ़ाने तथा गन्ना के बकाये का निपटान करने में मदद मिलेगी, जो फिलहाल 13,567 करोड़ रुपये है. उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना का बकाया सबसे अधिक 9,817 करोड़ रुपये है.