1 फरवरी को संसद में बजट पेश किया जाएगा. बजट को लेकर काउंटडाउन शुरू हो गया है. कोई इसे आम बजट कह रहा है तो कोई यूनियन बजट. आखिर ये यूनियन बजट होता है क्या है, इसे बहुत ही आसान भाषा में समझा रहे हैं ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी.

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आम बजट या फिर यूनियन बजट (Union Budget) यानी खर्चे और कमाई का लेखा-जोखा है. ठीक उसी तरह से जैसे आप अपने घर का बजट बनाते हैं कि कितने पैसे कमाएंगे, कितने खर्च करेंगे और अंत में कितने पैसे बचाएंगे. लेकिन आम आदमी और सरकार के बजट में एक मामूली सा अंतर होता है. वह अंतर ये है कि आप अपने घर का बजट बनाते हैं और सरकार पूरे देश का. वर्ष 2016 तक फरवरी के अंतिम दिन (28 या 29 फरवरी) को बजट पेश किया जाता था, लेकिन 2017 से यह 1 फरवरी को पेश किया जाता है.

एक और अंतर है. आम आदमी के घर के बजट में कमाई से खर्चे थोड़े कम होते हैं. इसमें आप कुछ न कुछ बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन सरकार का जो बजट बनता है उसमें आमतौर पर खर्चे ज्यादा होते हैं और कमाई कम. फिर सवाल उठता है कि खर्चे के लिए पैसे कहां से आएंगे. खर्चों के लिए सरकार पैसे उधार लेती है और इसलिए सरकार के बजट को घाटे वाला बजट कहा जाता है. 

 

देश की कमाई और खर्चों का लेखा-जोखा यूनियन (Union Budget) या फिर आम बजट कहलाता है. आम बजट को हर साल देश के वित्तमंत्री पहली फरवरी को संसद में पेश करते हैं.

संविधान में ‘बजट’ को एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट कहा गया है. आम बजट में सरकार की आर्थिक नीति की दिशा दिखाई देती है. इसमें मंत्रालयों को उनके खर्चों के लिए पैसे का आवंटन होता है. इसमें आने वाले साल के लिए कर प्रस्तावों का ब्योरा पेश किया जाता है.

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वर्ष 1924 से संसद में आम बजट (Union Budget) से अलग रेल बजट (Rail Budget) पेश किया जाता था. लेकिन मोदी सरकार (Modi Government) ने रेल बजट को आम बजट में ही मिला दिया.