बजट से पहले इन Defence PSU Stocks पर रखें नजर, सरकार ने कर दिया ऐलान तो रॉकेट हो जाएंगे
Budget 2025 Updates: सरकार इस बजट में शिपबिल्डिंग सेक्टर को इंफ्रा स्टेट देने का ऐलान कर सकती है. ऐसा होने पर Cochin Shipyard, Mazagon Dock जैसी शिपिंग कंपनियों को सस्ते और लंबे टेन्योर का लोने लेने में आसानी होगी.
Budget 2025 Updates: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश के सामने आम बजट पेश कर सकती हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इस बजट में सरकार कई सारे बड़े ऐलान कर सकती है. ऐसे में हर सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स बजट और उसकी तैयारियों पर नजर गड़ा कर बैठे हैं. प्री-बजट बैठकों में वित्त मंत्री सभी सेक्टर्स के एक्सपर्ट्स और स्टेकहोल्डर्स से उनकी मांगों को भी समझ रही हैं. शिपिंग सेक्टर को बजट में बहुत बड़ी खुशखबरी मिल सकती है.
शिपिंग सेक्टर को मिल सकता है इंफ्रा स्टेटस
शिपिंग सेक्टर की एक बड़ी डिमांड को सरकार इस बजट में मान सकती है. दरअसल, सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बजट में शिपबिल्डिंग को इंफ्रा स्टेटस देने की मांग को मान सकती है. सरकार अगर ऐसा करती है तो Cochin Shipyard, Mazagon Dock जैसी शिपिंग कंपनियों को इसका बहुत फायदा होगा.
सस्ते लोन का रास्ता होगा साफ!
शिपबिल्डिंग सेक्टर को इंफ्रा स्टेटस मिलने से इन कंपनियों को बैंक लोन मिलने में काफी सुविधाएं होंगी. अभी इन कंपनियों को मिलने वाले बैंक लोन का टेन्योर काफी कम होता है. शिप के मूवेएबल प्रॉपर्टी होने के कारण इन कंपनियों को कार लोन के जैसे ही कम अवधि वाला लोन मिलता है.
प्राइवेट फंडिंग से मिल सकता है छुटकारा
एक शिप को बनने में आमतौर पर 3 साल का समय लग जाता है. ऐसे में इन कंपनियों को 3-4 साल का समय ही मिल पाता है लोन की रिकवरी के लिए. जिसके कारण बड़े अमाउंट का लोन इन कंपनियों को आसानी से नहीं मिल पाता है. ऐसे में प्राइवेट फंडिंग या वेंचर कैपिटल ही इन कंपनियों को लेनी पड़ती है.
इंफ्रा स्टेटट मिलने के बाद इन कंपनियों को लंबी अवधि के लोन मिल पाएंगे. इसके साथ ही इस स्टेटस के साथ इन कंपनियों को कम ब्याज दरों पर लोन मिलने का रास्ता भी साफ हो सकता है.
Shipbuilding Financial Assistance Policy की बढ़ सकती है अवधि
इसके अलावा बजट में शिपिंग इंडस्ट्री को लेकर एक और बड़ा ऐलान हो सकता है. सरकार इस बजट में Shipbuilding Financial Assistance Policy का भी जिक्र कर सकती है. ये पॉलिसी 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाली है. सरकार इस पॉलिसी अगले 5-10 साल तक आगे बढ़ा सकती है. इससे शिपिंग मार्केट में नए प्लेयर्स के आने की भी संभावना बढ़ सकती है.