Budget 2024: क्या है Consolidated Funds! इसके इस्तेमाल की मंजूरी लोकसभा से ही क्यों ली जाती है राज्यसभा से क्यों नहीं?
Interim Budget: इस बार बजट के दौरान आपने 'कंसोलिडेटेड फंड्स' का जिक्र कई बार सुना होगा. तमाम लोग ये नहीं समझते कि 'कंसोलिडेटेड फंड्स' होता क्या है, यहां जानिए इसके बारे में और इसके इस्तेमाल की इजाजत लोकसभा से ही क्यों ली जाती है, राज्यसभा से क्यों नहीं?
Budget 2024: आज 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट करने जा रही हैं. सुबह 11 बजे संसद में वित्त मंत्री का बजट भाषण शुरू होगा. हालांकि ये अंतरिम बजट (Interim Budget) है क्योंकि इसी साल चुनाव होने हैं. चुनाव के बाद जब नई सरकार बनेगी, तब पूर्ण बजट पेश किया जाएगा. अंतरिम बजट एक तरह का अस्थायी व्यवस्था है जिसमें सरकार को नई सरकार के कार्यभार संभालने तक के लिए संसद से जरूरी खर्चों के लिए 'कंसोलिडेटेड फंड्स' (Consolidated Funds) के इस्तेमाल की इजाजत लेनी होती है.
इस बार बजट के दौरान आपने 'कंसोलिडेटेड फंड्स' का जिक्र कई बार सुना होगा. तमाम लोग ये नहीं समझते कि आखिर कंसॉलिडिटेड फंड्स होता क्या है, आइए आपको बताते हैं क्या होता है 'कंसोलिडेटेड फंड्स' और इसके इस्तेमाल की इजाजत लोकसभा से ही क्यों ली जाती है, राज्यसभा से क्यों नहीं?
जानिए क्या है 'कंसोलिडेटेड फंड्स' और इसके खर्च की इजाजत लोकसभा से क्यों?
देश को टैक्स, राजस्व, कर्ज आदि कई तरीकों से इनकम होती है. ये सारी इनकम एक साझा कोष में जमा कर दी जाती है. इसे देश की 'संचित निधि' या 'कंसोलिडेटेड फंड्स' कहा जाता है. 'कंसोलिडेटेड फंड्स' में जमा सारा पैसा जनता होता है, इसलिए इस पैसे को खर्च करने के लिए जनता की इजाजत लेना जरूरी है. लोकसभा में सांसद जनता द्वारा चुनकर आते हैं. इसलिए उन्हें जनप्रतिनिधि भी कहा जाता है.
ऐसे में लोकसभा सांसदों का फैसला जनता का फैसला माना जाता है. यही वजह है कि संचित निधि में जो जमा पैसा है, उसके खर्च की अनुमति लोकसभा से ली जाती है. इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से उस पैसे के इस्तेमाल के लिए जनता की स्वीकृति ले ली जाती है. राज्यसभा के सांसदों को सीधेतौर पर जनता नहीं चुनती है, यही वजह है कि राज्यसभा में बजट को पेश तो किया जाता है, लेकिन उसमें किसी तरह के बदलाव या वोट का अधिकार राज्यसभा सांसदों को नहीं दिया जाता है.
क्या होता है अंतरिम बजट
अंतरिम बजट को संसद में बिना किसी चर्चा के पेश किया जाता है. जिसे 'वोट ऑन अकाउंट' (Vote on Account) भी कहा जाता है. अंतरिम बजट में पिछले वित्त वर्ष के आय और व्यय का एक विवरण पेश किया जाता है. यह केवल सरकार की आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिए पेश किया जाता है. आमतौर पर सरकार अंतरिम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं करती. हालांकि 2019 में ही सरकार ने कर छूट सीमा को 2.5 लाख रुपए प्रति वर्ष से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी थी. लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने पहले ही कह रखा है कि अंतरिम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की जाएगी.