Union Budget 2024-25: 1 फरवरी को देश का बजट 2024 पेश किया जाना है. ऐसे में लोगों का ध्‍यान बजट की ओर खिंचने लगा है. हर कोई इस बजट (Budget 2024) से काफी उम्‍मीदें लगाए बैठा है. बता दें कि हर साल भारत सरकार के वित्‍त मंत्री एक फाइनेंशियल ईयर (Financial Year) के लिए पूरा लेखा-जोखा पेश करते हैं, जिसमें तमाम खर्च, रियायतों के साथ आम लोगों के लिए कुछ घोषणाएं भी शामिल होती हैं. इसीलिए इसे आम बजट भी कहा जाता है. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) इस साल 6वां बजट पेश करने जा रही हैं. आजादी के बाद से हर साल बजट पेश किया जा रहा है. इस बीच बजट को लेकर कई तरह के प्रयोग हुए हैं. काफी कुछ बदला है. आइए आपको बताते हैं आजादी के बाद से बजट में आए खास बदलावों के बारे में-

पहले बजट में नहीं था टैक्‍स का प्रस्‍ताव

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आजाद भारत का पहला बजट फरवरी के महीने में नहीं बल्कि नवंबर में पेश किया गया था. इस बजट को 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी ने पेश किया था. वकील और अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ एक राजनेता के तौर पर भी सक्रिय वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी द्वारा पेश किए गए आजाद भारत के पहले बजट में टैक्स प्रस्ताव नहीं था. इस बजट में 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 तक के साढ़े 7 महीने की अवधि को ही कवर किया गया था.

वित्‍त मंत्री सीडी देशमुख ने हिंदी में छपवाया बजट

साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित होता था. बाद में, 1955-56 से, सरकार ने इसे हिंदी में भी प्रकाशित करना शुरू कर दिया. इसका श्रेय देश के तीसरे वित्‍त मंत्री सीडी देशमुख को जाता है. सीडी देशमुख भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर भी रह चुके हैं. अंग्रेजी हुकूमत ने उन्‍हें भारतीय रिजर्व बैंक का गर्वनर बनाया था. उन्‍होंने 11 अगस्‍त 1943 से 30 जून 1949 तक इस पद को संभाला था.

घाटे का ब्‍लैक बजट

साल 1973-74 देश में ब्‍लैक बजट पेश किया गया था. ये बजट 550 करोड़ रुपए के घाटे का था. उस समय तत्‍कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि देश में सूखे के कारण पैदा हुए हालात और खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी की वजह से बजटीय घाटा बढ़ गया है. इसलिए 'ब्लैक बजट' पेश करने की स्थिति आन पड़ी है. तब से इस बजट को 'Black Budget' कहा जाने लगा. आजाद भारत में आज तक सिर्फ एक बार ही 'Black Budget' पेश किया गया है.

उदारीकरण का बजट

1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने जो बजट पेश किया था, उसे उदारीकरण बजट के रूप में माना जाता है. उस बजट में विदेश की कंपनियों को भारत में कारोबार करने के लिए खुली छूट दे दी गई थी. यही से भारत के उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई थी. इसके बाद भारतीय कंपनियों का भी देश के बहार व्यापार करना आसान हो गया था.

बजट के समय और तारीख में बदलाव

वर्ष 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था, लेकिन वर्ष 1999 में वित्‍त मंत्री यशवंत सिन्‍हा ने इसका समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया था. वहीं नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बजट पेश करने की तारीख में बदलाव किया गया. साल 2017 से पहले तक बजट को फरवरी के आखिरी महीने में पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को संसद में बजट पेश किया. तब से बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है. 

बैग से बहीखाते तक 

आजादी से पहले और आजादी के कई सालों बाद तक बजट के दस्‍तावेजों को रखने के लिए लैदर के ब्रीफकेस या बैग का इस्‍तेमाल किया जाता रहा. हालांकि समय-समय पर बैग के‍ रंग और डिजाइनंस को लेकर कई तरह के बदलाव किए गए. लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जब निर्मला सीतारमण पहला बजट लेकर आयीं तो उन्‍होंने अंग्रेजों की परंपरा को भी तोड़ दिया और ब्रीफकेस और बैग दोनों को ही गायब कर दिया. इसकी जगह पर लाल रंग के कपड़े में बजट के दस्‍तावेजों को पेश किया गया. इसे बहीखाता कहा गया.

कोविड के दौरान पेपरलेस बजट 

कोविड-19 महामारी आने के बाद वर्ष 2021-22 का बजट पेपरलेस यानी कागज-रहित पेश किया गया. पेपरलेस बजट पेश करने का रिकॉर्ड भी मौजूदा वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम दर्ज है.