Union Budget 2024: 1 फरवरी को देश का बजट पेश होने जा रहा है. नौकरीपेशा हों, बिजनेसमैन हों या घरेलू महिलाएं...सभी को बजट से बहुत उम्‍मीदें होती हैं. हर साल 1 फरवरी को देश की वित्‍त मंत्री देश के सामने एक फाइनेंशियल ईयर का लेखा-जोखा प्रस्‍तुत करते हैं. इस दौरान तमाम वर्गों के लिए कई तरह की घोषणाएं भी की जाती हैं. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) इस साल 6वीं बार देश का आम बजट (Aam Budget) पेश करने जा रही हैं. लेकिन क्‍या आपको पता है कि आखिर बजट को तैयार कैसे किया जाता है? आइए बताते हैं आपको बजट से जुड़ी जरूरी जानकारी.

छह महीने पहले से शुरू हो जाती है प्रक्रिया

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1 फरवरी को पेश होने वाले बजट को तैयार करने की प्रक्रिया छह महीने पहले से ही तैयार हो जाती है. सितंबर के महीने से ये प्रक्रिया शुरू होती है. सितंबर के महीने में तमाम मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सर्कुलर जारी कर आने वाले साल के लिए जरूरी फंड का डेटा देने को कहा जाता है. इन आंकड़ों के आधार पर ही बाद में अलग-अलग मंत्रालयों को फंड दिए जाते हैं. इसके बाद वित्त मंत्री, वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव की हर दिन बैठक होती है और अलग-अलग विभागों के बीच फंड देने को लेकर चर्चा होती है. 

इस दौरान बजट बनाने वाली टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग के इनपुट लगातार मिलते रहते हैं. फिर वित्‍त मंत्री राजस्व विभाग, उद्योग संघों, वाणिज्य मंडलों, किसान संघों, ट्रेड यूनियनों, इकोनॉमिस्ट जैसे अलग-अलग सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करती हैं. बजट से जुड़ी सारी चीजें फाइनल होने के बाद एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता है. बजट को लेकर सब कुछ तय होने के बाद बजट दस्तावेज प्रिंट होता है.

कैसे की जाती है बजट दस्‍तावेजों की सुरक्षा

बजट के दस्‍तावेज बेहद गोप‍नीय होते हैं, इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं. इसके लिए हर साल हलवा सेरेमनी के बाद बजट बनाने और इसकी छपाई से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का लॉक इन पीरियड शुरू हो जाता है. एक बार लॉक इन पीरियड शुरू होने के बाद कोई भी बाहरी व्‍यक्ति वित्‍त मंत्रालय में प्रवेश नहीं कर सकता. मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता. इंटरनेट के इस्‍तेमाल पर पाबंदी रहती है. सिर्फ लैंडलाइन के जरिए ही बातचीत हो पाती है.

इस बीच अगर कोई कर्मचारी बीमार पड़ जाए तो उसे अस्‍पताल में जाकर इलाज कराने की भी इजाजत नहीं होती है. लॉक इन पीरियड के दौरान मेडिकल सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए सभी सुविधाओं से लैस डॉक्‍टरों की टीम वहां पर मौजूद रहती है. गोपनीय दस्‍तावेजों को किसी भी तरह की हैकिंग के रिस्‍क से बचाने के लिए जिन कंप्यूटरों पर बजट डॉक्यूमेंट मौजूद होता है, उनसे इंटरनेट और एनआईसी के सर्वर को डिलिंक कर दिया जाता है. ये कंप्‍यूटर सिर्फ प्रिंटर और छपाई मशीन से कनेक्‍ट होते हैं.