Budget 2023: कौन तैयार करता है देश का बजट? जानिए इससे जुड़ी रोचक बातें
Budget 2023: देश का बजट कई विभागों के आपसी विचार-विमर्श के बाद तैयार होता है, जिसमें वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और कई अन्य मंत्रालय हिस्सा लेते हैं. बजट की तैयारी की प्रक्रिया में फाइनेंस मिनिस्ट्री खर्च के आधार पर दिशा निर्देश जारी करता है.
Budget 2023: देश के संसद में 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होगा. दुनियाभर में रिकॉर्ड महंगाई और आर्थिक तंगी के बीच सबकी निगाहें इस बार के बजट पर होगी. क्योंकि विकसित देशों में महंगाई ने इकोनॉमी की कमर तोड़ डाली है. बजट की तैयारियों में वित्त मंत्री ने हाल ही प्री-मीटिंग में 8 अलग-अलग समूहों से चर्चा भी कीं. लेकिन क्या आपको पता है कि देश का कौन तैयार करता है? क्योंकि संसद में देश का वित्त मंत्री ही बजट पेश करता है, लेकिन इसे तैयार करने की जिम्मेदारी एक खास विभाग पर होती है.
कौन तैयार करता है बजट?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि देश का बजट कई विभागों के आपसी विचार-विमर्श के बाद तैयार होता है, जिसमें वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और कई अन्य मंत्रालय हिस्सा लेते हैं. बजट की तैयारी की प्रक्रिया में फाइनेंस मिनिस्ट्री खर्च के आधार पर दिशा निर्देश जारी करता है. फिर इस पर अलग-अलग मंत्रालय अपनी जरूरतों के लिहाज से फंड की डिमांड बताते हैं. इसके बाद वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economics Affairs) की 'बजट डिवीजन' इसे तैयार करती है.
बजट बनाने वाली प्रमुख एजेंसियां?
- वित्त मंत्रालय
- नीति आयोग
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
- प्रशासनिक मंत्रालय
बजट की पहली ड्राफ्ट कॉपी कौन देखता है?
देश का बजट संसद में पेश होने तक बेहद गोपनीय होता है. बजट तैयार होने से लेकर पेश होने तक इससे जुड़ी सभी जानकारी तब तक पब्लिक नहीं की जाती जब तक की यह संसद में पेश नहीं हो जाता. लेकिन क्या आपको पता है कि बजट की पहली ड्राफ्ट कॉपी सबसे पहले किसके पास जाती है? बता दें कि इसे सबसे पहले वित्त मंत्री के सामने रखी जाती है. इसका पेपर नीले रंग का होता है.
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बजट पेश करने के लिए राष्ट्रपति मंजूरी जरूरी
बजट संसद में पेश करने से पहले सरकार को राष्ट्रपति की अनुमति लेनी होती है. फिर इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाता है. इसके बाद बजट को संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है. बता दें कि देश आम बजट दो हिस्सों में बंटा होता है. इसके पहले हिस्से में सामान्य आर्थिक सर्वे और पॉलिसीज का ब्यौरा होता है, जबकि दूसरे हिस्से में आने वाले साल के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव रखे जाते हैं.