Budget 2023: बहीखाते से पहले तक लेदर के बैग में बजट के पेपर्स लाने की थी परंपरा, जानिए बजट और लेदर बैग का क्या है कनेक्शन
Union Budget 2023: बही-खाते से पहले तक बजट हमेशा बैग-ब्रीफकेस में लाया जाता था. समय के साथ बैग में कई बदलाव हुए लेकिन बैग ज्यादातर लेदर का ही इस्तेमाल किया गया.
1 फरवरी को देश का बजट (Budget) पेश होने जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) इस बजट को पेश करेंगी. ये बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट है. मोदी सरकार के कार्यकाल में बजट के मामले में कई तरह की परंपराओं को तोड़ा गया जैसे- मोदी कार्यकाल में ही बजट 1 फरवरी को पेश होना शुरू हुआ और रेल व आम बजट (Aam Budget) को एक किया गया. इसके अलावा मोदी सरकार (Modi Govt) के कार्यकाल में ही अंग्रेजों की पुरानी परंपरा को तोड़ा गया और लाल कपड़े की पोटली में बजट के कागजात रखकर लाए जाने लगे. इस पोटली को बही-खाता कहा गया.
बही-खाते से पहले तक बजट हमेशा बैग-ब्रीफकेस में लाया जाता था. समय के साथ बैग में कई बदलाव हुए लेकिन बैग ज्यादातर लेदर का ही इस्तेमाल किया गया. यहां जानिए आखिर बजट और लेदर बैग का क्या है कनेक्शन और कैसे शुरू हुई लेदर के बैग में बजट के दस्तावेज लाने की परंपरा.
बजट और लेदर बैग का कनेक्शन
बजट को बैग में पेश करने की परंपरा 1733 में तब शुरू हुई थी, तब ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल बजट पेश करने आए थे और उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था. उस थैले में बजट के कागज रखे थे. फ्रेंच भाषा में उस थैले को Bougette कहा जाता था. Bougette का अर्थ है चमड़े का थैला. Bougette शब्द से ही बजट शब्द निकला और यहीं से बजट के कागजात को लेदर के बैग में लाए जाने की शुरुआत हो गई. इसके बाद 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे, उस पर ब्रिटिश रानी का मोनोग्राम बना था. इस लेदर के बैग को ग्लैडस्टन बॉक्स नाम दिया गया. भारत का पहला बजट ब्रिटिश संसद में जेम्स विल्सन ने 18 फरवरी 1869 को पेश किया और उस समय भी बजट के कागज लाने के लिए लेदर के बैग का ही इस्तेमाल किया गया.
आजादी के बाद भी कायम रही परंपरा
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और आजादी के बाद पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पहले वित्त मंत्री शणमुखम शेट्टी ने पेश किया. उन्होंने अंग्रेजों की परंपरा को कायम रखते हुए रेड लेदर के ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया. 1958 में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने काले रंग के ब्रीफकेस में बजट को पेश किया, लेकिन ये ब्रीफकेस भी लेदर का बना हुआ था. इसके बाद 1991 में मनमोहन सिंह ने जब बजट पेश किया तो बैग का रंग बदलकर लाल कर दिया गया. इसके बाद 1998-99 के दौरान यशवंत सिंह ने काले रंग के बक्कल और पट्टियों के बैग में बजट पेश किया. इस तरह समय-समय पर बैग के रंग और डिजाइनंस को लेकर कई तरह के बदलाव किए गए, लेकिन बैग और ब्रीफकेस के तौर पर हमेशा लेदर का ही इस्तेमाल किया गया.
मोदी सरकार ने की बही-खाते में बजट की शुरुआत
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जब निर्मला सीतारमण पहला बजट लेकर आयीं तो उन्होंने अंग्रेजों की परंपरा को भी तोड़ दिया और ब्रीफकेस और बैग दोनों को ही गायब कर दिया. इसकी जगह पर लाल रंग के कपड़े में बजट के दस्तावेजों को पेश किया गया. इसे बहीखाता कहा गया.
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