Budget 2022: बजट बैग का सफरनामा- ब्रीफकेस से टैबलेट तक
Budget 2022: साल 2019 के पहले संसद में बजट की कॉपी को वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में लेकर आते थे. 2019 में यह लाल कपड़े के बहीखाते में बदल गया. उसके बाद साल 2021 में यह बहीखाता आधुनिक हुआ और टैबलेट की शक्ल में सामने आया.
Union Budget 2022-23: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगी. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट है. साल 2019 के पहले तक संसद में बजट की कॉपी को वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में लेकर आते थे. 2019 में यह ब्रीफकेस एक लाल रंग के बहीखाते में बदल गया. पिछले साल यानी 2021-22 में यह बजट बहीखाता आधुनिक हुआ और टैबलेट की शक्ल में सामने आया. बदलती सरकारों के साथ बजट ब्रीफकेस का रंग भी बदला. नजर डालते हैं बजट बैग के सफरनामा पर, जिसने ब्रीफकेस से टैबलेट तक का सफर तय किया.
बजट बैग या ब्रीफकेस का कैसे शुरू हुआ सफर
भारत में बजट को ब्रीफकेस में लेकर आने की कहानी काफी दिलचस्प है. साल 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन ने पहली बार भारत का बजट पेश किया था. वो लंबे भाषण देने के लिए जाने जाते थे. ऐसे में उनको अपने पेपर्स (डाक्यूमेंट्स) रखने के लिए एक बड़े ब्रीफकेस की जरूरत महसूस हुई. यहीं से लंबे भाषणों का चलन शुरू हुआ. वो अपने पेपर्स इसी बैग में लेकर आए थे. तभी ये यह ब्रीफकेस की परंपरा चलन में आई. इन पेपर्स पर ब्रिटेन की क्वीन का गोल्ड मोनोग्राम था. क्वीन ने बजट पेश करने के लिए यह सूटकेस खुद ग्लैडस्टन को दिया था.
ब्रिटेन का रेड ग्लैडस्टन बजट बॉक्स साल 2010 तक चलन में था. बाद में यह ब्रीफकेस इतना जर्जर हो गया था कि इसे म्यूजियम में रख दिया और उसकी जगह एक फ्रेश रेड लेदर बजट बॉक्स का इस्तेमाल होने लगा.
सरकारों के साथ बदला बजट बैग का रंग और आकार
भारत के सरकारों के साथ-साथ बजट बैग का रंग और आकार भी बदलता रहा. भारत के बजट बॉक्स या सूटकेस पर ब्रिटिश उपनिवेश का असर रहा है. आजादी के बाद भी भारत में लेदर बैग की इस परंपरा को जारी रखा गया. ब्रीफकेस की यह परंपरा भारत सरकार को विरासत में मिली है. चमड़े के इस लाल बैग में भारत की दशा-दिशा और उसकी प्रगति का लेखा-जोखा इस बैग में बंद रहता है.
भारत 1947 में आजाद के बाद भी बजट बैग की इस परंपरा को बनए रखा गया. 26 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री शणमुखम शेट्टी ने भी बजट पेश करने के लिए यही सूटकेस लाया था. 1998-99 के बजट के दौरान, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने काले रंग के चमड़े के बैग को पट्टियों और बकल के साथ प्रचलन में लेकर आए थे, जबकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 1991 में अपने पॉपुलर बजट के दौरान एक सादे काले रंग के बैग को तरजीह दी थी.
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जुलाई 2019 में आया बहीखाता
जुलाई 2019 के बजट दस्तावेज अलग अंदाज में दिखाई दिया था. बजट दस्तावेज बड़े से ब्रीफकेस की बजाय लाल रंग के मखमली कपड़े में 'बहीखाते' की शक्ल में सामने आया. कपड़े के ऊपर भारत सरकार का चिह्न था. तत्कालीन मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने इस बारे में बताया था कि यह भारतीय परंपरा है. यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है. यह बजट नहीं 'बहीखाता' है.
बजट 2021: टेबलेट में समा गया बजट
कोरोना महामारी के चलते टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सबसे तेजी बढ़ा. बजट (Budget) भी इससे अछूता नहीं रहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 को संसद में एक टैबलेट के जरिए पेश किया. यह बजट टैब ने पारंपरिक बही खाते की जगह ली. यह टैबलेट बहीखाते के समान लाल रंग के कपड़े में नजर आया. इसके ऊपर भारत सरकार का चिह्न था. इसी के साथ ही पूरी तरह से पेपरलेस बजट की शुरुआत हुई.