Budget 2020: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का बजट 2020 (Budget 2020) शनिवार को पेश होगा. इसे आम बजट या यूनियन बजट भी कहा जाता है. लेकिन, आम आदमी को यह जरूर समझना चाहिए कि आखिर इस बजट में होता क्या है और इसमें क्या-क्या होता है. 'बजट एट ए ग्‍लांस डॉक्‍यूमेंट' में हर तरह की जानकारी दी जाती है. इस डॉक्‍यूमेंट में सरकार की आमदनी और खर्चों का ब्‍योरा होता है. इसे एनुअल फाइनेंशियल स्‍टेटमेंट कहते हैं. यह देश के हर वर्ग को प्रभावित करता है.

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दो भाग में बंटा होता है बजट

आम बजट दो भाग में होता है. रेवेन्‍यू बजट और कैपिटल बजट. रेवेन्‍यू बजट में 90 फीसदी टैक्‍स होता है. इसमें डायरेक्‍ट और इनडायरेक्‍ट टैक्‍स, ब्‍याज, डिविडेंड, सर्विस से जुड़ी फीस होती है. वहीं, कैपिटल बजट में सरकारी विभागों के खर्च, कर्ज पर ब्‍याज और सब्सिडी शामिल होती है.

पूंजीगत प्राप्ति और खर्च में अंतर

पूंजीगत प्राप्ति (Capital Receipts) और पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) दोनों अलग-अलग हैं. पूंजीगत प्राप्ति में पब्लिक से लिया कर्ज, RBI से जुटाया कर्ज, विदेशी सरकार से मदद और लोन रिकवरी होती है. जबकि पूंजीगत खर्च में एसेट खरीदने पर खर्च या इनवेस्‍टमेंट और राज्‍य सरकारों को दिया गया लोन शामिल होता है.

क्‍या होता है वित्‍तीय घाटा?

वित्‍तीय घाटा (Fiscal Deficit) पूंजीगत प्राप्ति और पूंजीगत खर्च के बीच का अंतर होता है. वित्‍तीय घाटे को GDP से भाग देने पर प्रतिशत पता चल जाता है. इसका जिक्र इकोनॉमिक सर्वे में भी किया जाता है.

राजकोषीय घाटा

सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इससे पता चलता है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितनी उधारी की जरूरत होगी. राजकोषीय घाटा आमतौर पर राजस्व में कमी या पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण होता है. पूंजीगत व्यय लंबे समय तक इस्तेमाल में आने वाली संपत्तियों जैसे-फैक्टरी, इमारतों के निर्माण और अन्य विकास कार्यों पर होता है. राजकोषीय घाटे की भरपाई आमतौर पर केंदीय बैंक (रिजर्व बैंक) से उधार लेकर की जाती है या इसके लिए छोटी और लंबी अवधि के बॉन्ड के जरिए पूंजी बाजार से फंड जुटाया जाता है.