Budget 2020 में होंगे बड़े ऐलान, LTCG पर मिल सकती है छूट
इन्वेस्टमेंट में होने वाले मुनाफे पर टैक्स लगाया जाता है. इस टैक्स को कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) कहते हैं.
1 फरवरी (Budget 2020) को पेश होने वाले बजट में शेयर बाजार को खुश करने के लिए बड़े ऐलान होने वाले हैं. Zee Business को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long Term Capital Gain-LTCG) पर बड़े ऐलान करने वाली हैं.
वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि लंबे समय से की जा रही शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) खत्म करने की मांग को सरकार ने मान लिया है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री बजट पेश करने जा रही हैं, इस बजट में एलटीसीजी को हटाने का ऐलान किया जा सकता है. जानकारी मिली है कि LTCG हटाकर होल्डिंग पीरियड बढ़ाने की संभावना है. साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि सेक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax-STT) और कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (Commodity Transaction Tax-CTT) हटने और घटने की कहीं कोई संभावना नहीं है.
कैपिटल गेन
इन्वेस्टमेंट में होने वाले मुनाफे पर टैक्स लगाया जाता है. इस टैक्स को कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) कहते हैं. माना किसी व्यक्ति ने प्रॉपर्टी, सोना या शेयर में निवेश किया और उसे वहां से मुनाफा मिला, तो उस मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में पहले साल 1 लाख रुपये तक मुनाफे पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन मुनाफा 1 लाख से अधिक होने पर 10 फीसद टैक्स लगेगा.
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स में भी होगा बदलाव
वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि सरकार डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (dividend distribution tax-DDT) में भी राहत दे सकती है. डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) के बदले बजट में डिविडेंड विदहोल्डिंग टैक्स लाया जा सकता है. कंपनियां डिविडेंड के हिस्से में से 20 फीसदी रकम TDS की तरह काटकर ही शेयरहोल्डर को रकम आगे ट्रांसफर करेंगी.
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन (Dividend) पर फिलहाल 20 फीसदी की रकम कंपनियां अदा करती हैं. अगर डिविडेंड की रकम 10 लाख रुपये से ज्यादा हो तो उस पर 10 फीसदी की दर से शेयरहोल्डर के हाथ में भी टैक्स लगता है. लेकिन बजट में जो प्रस्ताव लाया जा रहा है उसके मुताबिक, केवल शेयरहोल्डर को ही डिविडेंड पर टैक्स भरना होगा. वह भी शेयरहोल्डर अपनी आमदनी के स्लैब के हिसाब से ही टैक्स भरेंगे. और आमदनी के आधार पर अगर रिफंड बनता है तो रिफंड भी ले सकेंगे.
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कंपनियां लंबे समय से मांग कर रही हैं कि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स उन पर दोहरी मार है. क्योंकि कंपनी पहले अपने मुनाफे पर टैक्स भरती है फिर, जब डिविडेंड देती है तो डिविडेंड की रकम पर टैक्स भरना पड़ता है. बाद में 10 लाख से ज्यादा डिविडेंड होने पर शेयरहोल्डर पर भी 10 फीसदी टैक्स भरने की जिम्मेदारी आती है. कंपनियों ने इसको लेकर वित्त मंत्रालय के सामने कई बार मांग रखी.