3 महीने बाद कच्चा तेल $100 के नीचे, बाजार के लिए कैसे संकेत? जानिए अनिल सिंघवी की राय
Crude Falls below $100: बुधवार शाम ब्रेंट 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे फिसल गया, जोकि 3 महीने का निचला स्तर रहा.
Crude Falls below $100: कच्चा तेल (Brent Crude) 3 महीने के बाद 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आया है. क्रूड में नरमी से महंगाई को काबू पाने में मदद मिलेगी. भारतीय बाजारों के लिए कच्चे तेल में नरमी एक सबसे बड़ा ट्रिगर है. ऐसा इसलिए क्योंकि महंगाई आज के समय में दुनियाभर के सरकारों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है. कच्चे तेल की महंगाई भारत के मुकाबले यूरोप के लिए ज्यादा चिंताजनक है. जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी से जानते हैं, कच्चे तेल में और कितनी गिरावट आ सकती है और इसकी वहज क्या है.
अनिल सिंघवी का कहना है कि कच्चे तेल के भाव का नीचे आना दुनियाभर के लिहाज से बड़ी बात है. खासकर भारत के लिए यह अहम है. कच्चे तेल में नीचे आने की वजह अमेरिका में भंडार का बढ़ना है. ऐसी उम्मीद नहीं थी कि भंडार बढ़ेंगे. बता दें, US में क्रूड भंडार में उम्मीद के विपरीत 38 लाख बैरल की बढ़त हुई है. बता दें, बुधवार शाम ब्रेंट 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे फिसल गया, जोकि 3 महीने का निचला स्तर रहा.
उनका कहना है कि कच्चे तेल में मजबूती आए या कमजोरी, उसके कारण भी देखने की जरूरत है. केवल आंकड़े नहीं देखना चाहिए. इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि कच्चा तेल जिन वजहों से गिरा है, क्या वे सस्टनेबल हैं. अगर मंदी की वजह से कच्चा तेल नीचे आ रहा है, अगर प्रोडक्शन बढ़ने की वजह से नीचे आ रहा है, तो ये कारण सस्टेनेबल है. अगर कच्चा तेल डिमांड बढ़ने की वजह से बढ़ता है या प्रोडक्शन कम होने की वजह से बढ़ता है, तो वह सस्टेनेबल है. अगर जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते कच्चा तेल बढ़ता है, तो टेंशन कम होने से वह नीचे भी आ जाता है.
क्रूड ने तोड़ा मनोवैज्ञानिक लेवल
अनिल सिंघवी का मानना है कि कच्चे तेल के कम होने की वजह है कि उम्मीद के विपरीत अमेरिका के रिजर्व बढ़कर आए हैं. रिजर्व वैसे एक लेवल तक रहते हैं. हमारे लिए कच्चे तेल में नीचे आने से बेहतर कोई बात नहीं हो सकती है. इसमें अच्छी बात यह है कि कच्चे तेल का 105 डॉलर से नीचे आने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन, 100 डॉलर के भी नीचे आया है, जो कि एक मनोवैज्ञानिक लेवल है. हो सकता है क्रूड 95-96 के लेवल पर आए और वहां से रिबाउंड करने की कोशिश करे.
उनका कहना है, 4-5 डॉलर की संभावना और बची है. लेकिन, उससे ज्यादा गिरने की उम्मीद कम है. दूसरी बात, अगर कमोडिटी के भाव तेजी से गिर रहे हैं, इसमें मेटल्स भी हैं, एनर्जी प्राइसेस भी हैं. उस हिसाब से अगर अगली पॉलिसी में फेड महंगाई को लेकर बहुत ज्यादा एग्रेसिव न बोले तो लोगों के दिमाग में मंदी का डर भी कम हो सकता है. अगर वो कम हो तो वापस से कच्चे तेल और कमोडिटी के दाम बढ़ सकते हैं. एक सबसे गौर करने वाली बात यह है कि जो गिरावट या बढ़त धीरे-धीरे हो, वो बहुत काम की है. जो अचानक से होता है, उसका रिएक्शन भी अचानक से आता है. कुल मिलाकर कच्चे तेल में गिरावट अच्छी है.