किसानों की बढ़ेगी कमाई, डीजल की जगह बिजली से करेंगे सिंचाई, हर गांव में होगा एग्रीकल्चर फीडर
एक घंटे में बिजली से सिंचाई का खर्च जहां 2 रुपये के आसपास आता है वहीं डीजल में सिंचाई का खर्च 100 रुपये के आसपास होता है.
2020 तक बिहार के हर घर में प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी शुरु हो चुकी है. ऊर्जा विभाग की एक हजार करोड़ से ज्यादा की योजनाओं के शुभारंभ और उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात की घोषणा की. उन्होंने कहा कि सरकार अब हर गांव में डेडिकेटेड एग्रीकल्चर फीडर देगी. उन्होंने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को इन दोनों बड़ी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए समय सीमा भी तय कर दी है.
बिहार में हर घर बिजली पहुंचाने के मिशन के बाद अब हर घर प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी शुरु हो चुकी है. राज्य सरकार ने इसके लिए 15 अगस्त, 2020 तक का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया है. मंगलवार को ऊर्जा विभाग के 1006.95 करोड़ की योजनाओं के उद्घाटन कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने बिजली को लेकर विभाग के अधिकारियों को कई दिशा निर्देश भी दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि तय समय सीमा से पहले ही ऊर्जा विभाग ने हर घर बिजली की योजना को अंजाम तक पहुंचा दिया है. अब तैयारी हर घर प्रीपेड मीटर पहुंचाने की है. उपभोक्ताओं के घरों में लगने वाले प्रीपेड मीटर का शुल्क सरकार वहन करेगी. तीन एजेंसियां मिलकर इस काम को पूरा करेंगी.
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रीपेड मीटर की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि, लोगों को गलत बिल आ जाता है. साथ ही मीटर रीडरों की भी चांदी रहा करती है. ज्यादातर मीटर रीडरों ने कम तनख्वाह में भी आलीशान मकान बना लिए हैं. इन गड़बड़ियों को दुरुस्त करने के लिए भी प्रीपेड मीटर लगाने जा रहे हैं.
बिजली से होगी सिंचाई
नीतीश कुमार ने कृषि के लिए डेडिकेटेड फीडर लगाये जाने की भी समय सीमा 31 दिसंबर, 2019 तय की है. 1312 डेडिकेटेड एग्रीकल्चर फीडर लगाये जाने की योजना है. सरकार की कोशिश है कि किसान डीजल की बजाय अब बिजली से सिंचाई का काम करें. एक घंटे में बिजली से सिंचाई का खर्च जहां 2 रुपये के आसपास आता है वहीं डीजल में सिंचाई का खर्च 100 रुपये के आसपास होता है. सीएम ने कहा कि लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए वर्तमान में राज्य सरकार 5 हजार करोड़ रुपये सिर्फ बिजली की सब्सिडी पर खर्च कर रही है.
सौर ऊर्जा को बढ़ावा
नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार की कोशिश सौर ऊर्जा को बढावा देने की है. सरकारी कार्यालयों में अब सोलर प्लेट लगाई जाएंगी. ताकि सौर उर्जा पर हमारी निर्भरता बढ़े. मुख्यमंत्री आवास में भी सोलर प्लेट के जरिए ही सौर ऊर्जा हासिल की जाती है. सोलर पावर के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा. राज्य सरकार ने कजरा और पीरपैंती में अब थर्मल प्लांट की जगह सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना तैयारी की है. 300 मेगावाट के 2 यानी 600 मेगावाट को सोलर पावर पॉवर प्लांट लगाए जाएंगे.
कार्यक्रम में मौजूद डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में 2005-06 से अबतक बिहार सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपये के काम किये हैं. जबकि 25 हजार करोड़ रुपये केवल सब्सिडी के रुप में दिए गए हैं.
(पटना से आशुतोष चंद्रा की रिपोर्ट)