देश में बड़े स्टार्टअप पर फंड की कमी का नहीं पड़ेगा कोई असर, खराब कंपनियां हो सकती हैं बंद
Startup in India: सिलिकॉन वैली के दिग्गज ने कहा कि क्योंकि इन कंपनियों को छोटी फर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ेगी इसलिए वे अपनी पूंजी का ज्यादा बुद्धिमानी से उपयोग कर सकते हैं.
Startup in India: फंड की कमी और दूसरे कारणों की वजह से मुश्किल समय का सामना कर रहे भारतीय स्टार्टअप को कितना डरने की जरूरत है और कितना नहीं, इस पर भारतीय मूल के उद्योगपति विनोद खोसला ने एक बयान दिया है. बीबीसी को दिए गए इंटरव्यू में विनोद खोसला ने कहा कि कम मूल्याकंन पर मजबूत फंडामेंटल वाले लोगों की फंडिंग जारी रहेगी. खोसला ने बीबीसी के साथ इंटरव्यू में कहा कि खराब भारतीय स्टार्ट-अप इस साल बंद हो जाएंगे, लेकिन बड़े स्टार्ट-अप पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. बड़े भारतीय स्टार्ट-अप ऐसे ही जारी रहेंगे.
छोटी कंपनियों के साथ कंपीटिशन नहीं
सिलिकॉन वैली के दिग्गज ने कहा कि क्योंकि इन कंपनियों को छोटी फर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ेगी इसलिए वे अपनी पूंजी का ज्यादा बुद्धिमानी से उपयोग कर सकते हैं. खोसला की टिप्पणी सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के पतन के बाद आई है. हाल ही मे अमेरिकी में 16वें सबसे बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक के लिए निगेटिव खबरें आई थीं, जिसके बाद बैंक से बड़े निवेशकों ने पैसा निकाल लिया था और स्टार्टअप कंपनियों ने भी निकासी की थी.
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निजी पूंजी निवेश कर स्टार्टअप को बचाया
खोसला और चैटजीपीटी डेवलपर ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एसवीबी के पतन के बाद स्टार्टअप्स की मदद के लिए व्यक्तिगत पूंजी की पेशकश की. खोसला ने पिछले महीने ट्वीट कर कहा था कि हम 100 से ज्यादा पोर्टफोलियो कंपनियों से बात कर रहे हैं, जो उनकी महत्वपूर्ण जरूरतों का आकलन कर रहे हैं और जहां हम केवल उधार लेने की लागत पर या विशेष परिस्थितियों में जहां कंपनी के अन्य निवेशक जवाब नहीं दे सकते हैं, वहां हम अग्रणी या प्रमुख निवेशक हैं.
कौन हैं विनोद खोसला?
बता दें कि खोसला ने 1982 में प्रौद्योगिकी दिग्गज सन माइक्रोसिस्टम्स की सह-स्थापना की थी. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि एक प्रमुख विकासशील देश के रूप में भारत में दीर्घकालिक अवसर हैं, जहां सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को स्टार्ट-अप के जरिए हासिल किया जा सकता है, इसका मतलब ये हुआ है कि जितना स्टार्टअप को मदद की जाएगी, उतना ही देश की इकोनॉमी पर इसाक पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है.
कैशलेस लेन-देन में मदद करने वाले भारत के अनूठे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर इशारा करते हुए खोसला ने कहा कि इंडिया स्टैक, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और अन्य स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के विकास के लिए अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर हैं.