कैबिनेट का बड़ा फैसला: ई-सिगरेट पर लगाया बैन, नियम तोड़ने वालों को होगी कड़ी सजा
सरकार ने स्वास्थ्य के आधार पर ई-सिगरेट्स के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने इस बैन को मंजूरी दी है.
कैबिनेट की बैठक में आज कई अहम फैसले लिए गए. इनमें सबसे बड़ा फैसला ई-सिगरेट को लेकर रहा. कैबिनेट ई-सिगरेट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है. ई-सिगरेट की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर उसकी बिक्री पर भी रोक लगाई गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य के आधार पर ई-सिगरेट की मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री पर बैन लगाया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने इसके बैन को मंजूरी दी है. आपको बता दें कि हेल्थ मिनिस्ट्री ने इस पर प्रतिबंध की वकालत की थी. FM ने कहा कि इसकी बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग दोनों पर पाबंदी है. नियम तोड़ने वाले को कड़ी सजा होगी. हालांकि, दिल्ली के व्यापारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस कदम का विरोध किया था. उनका तर्क है कि इससे तस्करी को बढ़ावा मिलेगा.
कैबिनेट का बड़ा फैसला
- कैबिनेट ने ई-सिगरेट पर बैन लगयाा
- ई-सिगरेट की मैन्युफैक्चरिंग पर रोक
- ई-सिगरेट की बिक्री पर भी रोक लगाई
- ई-सिगरेट के एक्सपोर्ट, इंपोर्ट पर भी रोक
- ई-सिगरेट के विज्ञापन पर भी रोक लगाई
- ई-सिगरेट के स्टोरेज पर भी बैन
सीएआईटी के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ई-सिगरेट पर पूरी तरह से बैन से तस्करी को बढ़ावा मिलेगा, इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा. ई-सिगरेट को धूम्रपान की लत से बाहर निकालने में मददगार के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है.
क्या होती है ई सिगरेट
ई-सिगरेट में तंबाकू की जगह पर तरल रसायनों को गर्म किया जाता है, जिसके धुएं को पीनेवाला अंदर खींचता है. यही कारण है कि ई-सिगरेट भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य कारणों से ई-सिगरेट समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलिवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया था.
अध्यादेश लाने की मांग
मंत्रालय के प्रस्ताव में कहा गया था कि एक अध्यादेश लाकर देशभर में इसे तुरंत पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए और कानून तोड़ने पर जुर्माना और जेल की सजा दी जाए. इससे पहले, गुजरात टोबैको मर्चेन्ट्स एसोसिएशन (GTMA) और गुजरात टोबैको ग्रोवर्स एंड मर्चेंट्स एसोसिएशन (GTGMA) ने भी सरकार से प्रतिबंध नहीं लगाने की मांग की थी.