आगामी 5 जुलाई को संसद में यूनियन बजट पेश किया जाएगा. बजट को लेकर विभिन्न संस्थानों, व्यापारिक संगठनों ने सरकार के सामने राहत देने की मांग उठाई है. इसी क्रम में बजट से पहले एल्युमीनियम उत्पादकों ने सरकार से प्राथमिक एल्युमीनियम, स्क्रैप और डाउनस्ट्रीम उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और कच्चे माल की लागत को तर्कसंगत बनाने की मांग की है. 

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उद्योग संगठन भारतीय एल्युमीनियम संघ (एएआई) और फिक्की ने सरकार से कहा है कि देश का एल्युमीनियम क्षेत्र चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है. बढ़ते आयात और घटती बाजार हिस्सेदारी, उत्पादन और लॉजिस्टिक्स की लागत बढ़ने की वजह से उद्योग संकट में है. 

फिक्की की खनन एवं खनिज पर समिति के सह चेयरमैन राहुल शर्मा ने कहा कि ऊर्जा की गैर प्रतिस्पर्धी लागत और कोयले की भारी कमी की वजह से उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है और इससे एल्युमीनियम उद्योग के स्थायित्व पर संकट पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि इस्पात के बाद एल्युमीनियम सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन पिछले तीन साल के दौरान जो नीतिगत कदम उठाए गए हैं वे इस्पात उद्योग को संरक्षण प्रदान करने वाले हैं. 

एएआई ने हाल में खान मंत्रालय को पत्र लिखकर एल्युमीनियम उद्योग को राहत प्रदान करने की मांग की है. एएआई ने पत्र में कहा कि है कि एल्युमीनियम उत्पादों पर मूल सीमा शुल्क 10 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया जाए. साथ ही कच्चे माल पर उलट शुल्क ढांचे को सुधारा जाए और इन पर मूल सीमा शुल्क घटाया जाए. फिक्की ने भी सरकार को कुछ इसी तरह के सुझाव दिए हैं.