2 महीने में होगी बंपर कमाई, इस महीने करें बेल वाली सब्जियों की उन्नत किस्मों की बिजाई, जानें तरीका
Vegetables Farming: अगर आप जनवरी महीने में सब्जी लगाने की सोच रहे हैं तो बेल वाली सब्जियों की उन्नत किस्मों की बिजाई करें.
Vegetables Farming: अगर आप जनवरी महीने में सब्जी लगाने की सोच रहे हैं तो बेल वाली सब्जियों की बिजाई करें. किसान बेल वाली या कद्दू किस्म की कई तरह की सब्जियों की अगले महीने के मध्य तक वैज्ञानिक विधि से खेती कर बंपर उत्पादन ले सकते हैं. उन्नत किस्मों की बिजाई से फसल 60 से 65 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं.
इन सब्जियों की कर सकते हैं बिजाई
इन सब्जियों में घिया कद्दू, चिकनी तोरी, पेठा (Pumpkin), करेला, खबबूजा, तरबूज और गोल चप्पन कद्दू व खीरा आदि शामिल है. इनकी खुले खेतों में सीधी बिजाई करके या मसाना विधि के द्वारा पौधा तैयार करके भी रोपाई की जा सकती है. इन सब्जियों की खेती करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, जिससे रोग रहित फसल से कम खर्च में बंपर उत्पादन मिल सके. वैज्ञानिक विधि को अपनाने के लए सबसे पहले सभी बेल वाली सब्जियों को उगाने के लिए इसके उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए.
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बेल वाली सब्जियों की उन्नत किस्में
- घीया- बलवंत, हारूना, मल्लिका, अनोखी आदि.
- करेला- नगेश, प्राची, आलिया, अभिषेक, ह्राइब्रिड नंबर 6214
- खरबूजा- ईथानान, बॉबी, सनी प्लस, मधु राजा, मृदुला
- पेठा- वीएनआर पी-6, चामुंडा, रसिया, अकापा चंदन
- रामा तोरी- सत्या, मोहित, आलोक, सुंदरी हाथी
- काली तोरी- पूसा नरधार
- टिंडा- बीकानेरी ग्रीन, माही टिंडा
- तरबूज- मिश्री, आरोही, सुपर हनी, आईबीएच 23 नंबर, हनी प्लस
- जुकुनी चप्पन कद्दू- कैथरीना, चैंपियन, कोरा, प्रियंका आदि किस्में हैं.
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ऐसे करें रोपाई
बीजों की बिजाई ऊपर उठी क्यारियों में जिनकी परस्पर दूरी 2 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी जबकि नाली की गहराई लगभग 20 से 30 सेमी रखें. बीज की बिजाई ऊपर उठे बेडों में नाली के सिरों पर की जाती है. बिजाई के समय पर्याप्त नमी का होना बीजों के अच्छे फुटाव के लिए बेहद जरूरी होता है. जो किसान कद्दू जाति सब्जियों की पौध तैयार करवाकर उनकी रोपाई करते हैं उनके लिए बेड के सेंटर से लेकर दूसरे बेड के सेंटर तक का अंतर लगभग एक से डेढ़ मीटर का होना चाहिए. बेडों के बीच 60 सेमी की दूरी पर पौध की रोपाई की जा ती है. पौध से पौध का फासला 60 सेमी बेड की ऊंचाई 30 से 45 सेमी रखनी चाहिए.
मल्चिंग विधि का इस्तेमाल
इन दिनों ठंड के मौसम में प्लास्टिक लो टनल विधि से कोहरा या पाले से पौधों को सुरक्षित रखा जा सकता है. जिससे अधिक गुणवत्ता वाले अगेती फसल को मंडी में बेचकर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. पौधारोपण विधि से पहले बेड़ों का माथा ढलान के आकार का रखें जिससे कि ड्रिप इरिगेशन द्वारा सिंचाई करने में और उनमें रासायनिक खादों के देने पर सभी पौष्टिक तत्व आसानी से पौधे की जड़ों तक पहुंच जाते हैं.
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2 महीने में फसल तैयार
वैज्ञानिक विधि से बेल वाली सब्जियों की खेती करने से फसल 60 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. उन्नत किस्मों में अन्य किस्मों की अपेक्षा किसान ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं.
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