राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (NFCSF) ने शुक्रवार को सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर कम से कम 42 रुपए प्रति किलोग्राम करने का आग्रह किया, ताकि बढ़ती उत्पादन लागत के बीच मिलों को परिचालन जारी रखने में मदद मिल सके.  न्यूनतम बिक्री मूल्य वर्ष 2019 से 31 रुपए प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रखा गया है, जबकि सरकार ने हर साल गन्ना उत्पादकों को दिए जाने वाले उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वृद्धि की है.

गन्ने के FRP के साथ तालमेल बिठाने की बात

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NFCSF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने एक बयान में कहा कि महासंघ ने खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को आंकड़े सौंपे हैं, जिसमें चीनी उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि दिखाई दे रही है, जिससे न्यूनतम विक्रय मूल्य को गन्ने के FRP के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक हो गया है. पाटिल ने कहा, ‘‘यदि चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाकर 42 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया जाता है, तो चीनी उद्योग लाभप्रद हो सकता है.’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कदम सरकार के 100-दिवसीय एजेंडे का हिस्सा होगा.

अक्टूबर महीने से नए फसल सीजन की होगी शुरुआत

उन्होंने कहा कि NFCSF और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम संयुक्त रूप से अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाले आगामी सत्र से सहकारी मिलों को उनकी पेराई क्षमता के आधार पर गन्ना कटाई मशीनें उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रहे हैं. बयान में कहा गया है कि हाल ही में पुणे में केंद्रीय खाद्य एवं सहकारिता मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक में भी इन चिंताओं पर चर्चा की गई.