2 महीने की ट्रेंनिग के बाद मिला मुनाफे वाली खेती का आइडिया, अब सालाना ₹25 लाख का हो रहा है कारोबार
महाराष्ट्र के अहमदनगर के युवा किसान नीलेश एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन करने के बाद खेती-बाड़ी में हाथ आजमाने का मन बनाया, लेकिन पारंपरिक खेती से अलग. इसके लिए उन्होंने सरकारी संस्था से दो महीने की ट्रेनिंग ली और फिर उन्हें मुनाफे वाली खेती का आइडिया (Farming Idea) मिला.
Bamboo Farming: अगर आप खेती-किसानी से बंपर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़ दूसरी चीज की खेती करनी होगी. महाराष्ट्र के अहमदनगर के युवा किसान नीलेश दत्तात्रेय नंद्रे ने भी यही किया. नीलेश ने एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन करने के बाद खेती-बाड़ी में हाथ आजमाने का मन बनाया, लेकिन पारंपरिक खेती से अलग. इसके लिए उन्होंने सरकारी संस्था से दो महीने की ट्रेनिंग ली और फिर उन्हें मुनाफे वाले खेती का आइडिया (Farming Idea) मिला.
2 महीने की ट्रेनिंग ने खोली तरक्की की राह
नीलेश का कहना है कि ग्रेजुएशन करने के बाद उसने एग्री-क्लिनिक एंड एग्री-बिजनेस सेंटर स्कीम से दो महीने की आंत्रप्नयोरशिप की ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग पूरा करने के बाद वह बांस की खेती (Bamboo Farming) को बढ़ावा देने में जुट गए. उनका कहना है कि बांस गरीब आदमी की लकड़ी है. आर्थिक स्तर पर बांस की खेती बहुत फायदेमंद है.
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कम लागत में कर सकते हैं बांस की खेती (Bamboo Plantation)
मैनेज के मुताबिक, नीलेश ने बाय बैक मोड पर बांस की खेती के लिए 350 किसानों के साथ करार किया. शुरुआती वर्षों में, बांस के रोपण की लागत के लिए अधिकतम 35,000 रुपये प्रति एकड़ की जरूरत होती है. वह बांस की खेती पर कंसल्टेंसी देते हैं. रियल एस्टेट, पेपर इंडस्ट्री और हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री से बांस की भारी मांग उठ रही है. आपको बता दें कि बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) भी चलाया है, जिसके तहत किसानों को बांस के पौधों पर सब्सिडी भी दी जाती है.
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बांस से खड़ा किया 25 लाख रुपये का कारोबार
नीलेश वैज्ञानिक तरीक से बांस की खेती करवाते हैं. वो किसानों को बांस की खेती (Bamboo cultivation) की तकनीक जानकारी देते हैं. उनसे 9 गांवों के 350 से ज्यादा किसान जुड़े हैं. उनकी फर्म का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपये है.
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