Success Story: कोरोना काल की मजबूरियों और परेशानियों को शायद ही कोई भूल सकता है. लोगों की जान जा रही, नौकरी-रोजगार छिन रहा था. ऐसे हालात में बिहार के सीतामढ़ी जिले के अंजनी कुमार सिंह हिम्मत नहीं हारी. अपना ट्रांसपोर्ट बिजनेस ठप होता देख सभी तीन पिकअप भान सस्ते दाम में बेच दिए. इसके बाद गांव में ही गोपालन शुरू किया. इसके बाद सब्जी की जैविक खेती शुरू किया. आज वे महज तीन एकड़ में सालाना 6 लाख रुपये से ज्यादा कमाई कर रहे हैं. इसके साथ ही वो 6 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं.

रोजगार बंद होने पर भी नहीं हारी हिम्मत

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अंजनी के मुताबिक, कोरोना काल में सरकारी और सामाजिक पाबंदियां लगी थी. लोग घरों में कैद थे. सभी अपने दोस्तों, परिजनों  तक दूरी बना रहे थे. इस मुश्किल घड़ी में अंजनी का ट्रांसपोर्ट का काम पूरा बंद हो गया. गाड़ी की किस्त के साथ स्टाफ का महीना भी देना मुश्किल हो गया था. घाटे के साथ दिनोंदिन आर्थिक दबाव बढ़ रहा था. इसलिए उसने अपनी सभी गाड़ियां बेच दी और कारोबार बंद कर दिया. सभी के पैसे लौटाकर बाकी बचे रुपये से गांव में ही गोपालन शुरू कर दिया. इससे उनको कुछ राहत मिली और रोजमर्रा की जरूरत पूरी होने लगी.

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सब्जी की जैविक खेती ने बदली किस्मत

बिहार कृषि विभाग के मुताबिक, गोपालन के साथ अंजनी ने सब्जियों की जैविक खेती शुरू की. वो सब्जी के उत्पादन में कोई भी केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं करते हैं. खेतों में अपने ही गोशाला से गोबर और गोमूत्र का उपयोग करते हैं. वे गोबर का कंपोष्ट बनाकर खेत तैयार करते हैं. अब वो तीन एकड़ में खेती कर हर महीने 50 से 70,000 रुपये तक कमाई कर रहे हैं.

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