Success Story: बेहतर खेती बाड़ी और बागवानी के लिए खाद, सिंचाई और उन्नत बीज के साथ हाइटेक कृषि मशीनों का भी योगदान महत्वपूर्ण है. खेती में मशीनों से उत्पादन और उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं की वजह से छोटे किसानों के लिए हाइटेक एग्री मशीनों को खरीद पाना संभव नहीं हो पाता. किसानों की इन समस्याओं को देख ओडिशा के गंजुम जिला के रहने वाले तारा प्रसाद गौड़ा ने कस्टम हायरिंग सेटर (CHC) की स्थापना की. वो किसानों को किराये पर एग्री मशीनें देकर कमाई कर रहे हैं..

60 दिन की ट्रेनिंग के दौरान मिला आइडिया

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तारा प्रसाद गौड़ा के मुताबिक, उन्होंने सेंटर फॉर यूथ एंड सोशल डेवलपमेंट (CYSD), भुवनेश्वर में आयोजित एग्री-क्लीनिक और एग्री-बिजनेस सेंटर ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुए.  वो अब बिजनेसमैन हैं और अब 'ओम एग्रो एजेंसी' एक कस्टम हायरिंग सेंटर के मालिक हैं.

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ऐसे हुई 'ओम एग्रो एजेंसी' की शुरुआत

तारा प्रसाद ने धान उत्पादकों के लिए एग्री मशीनरी किराया पर देने के लिए 15 लाख रुपये की पूंजी के साथ 'ओम एग्रो एजेंसी' कस्टम हायरिंट सेंटर की शुरुआत की. एक महीने के भीतर, उनको एग्री मशीनों की मांग आने लगी और उन्होंने अपने गांव और अन्य तीन गांवों से लगभग 7-10 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करते हुए 200 से अधिक किसानों को सर्विस दी.

मैनेज के मुताबिक, वो अपनी मशीनें किराये पर देते हैं. उनके पास एक ड्राइवर भी है जो ट्रैक्टर चलाकर किसानों के लिए बुनियादी काम करता है. वह किराये पर जो एग्री मशीनें देते हैं उनमें पैडी हार्वेस्टर (Paddy Harvester), रोटावेटर (Rotavator), केज व्हील (Cage Wheel), एक्सेल पैडी क्रशर (Excel Paddy Crusher), लाइन टिलर (line tiller), वाटर पंप और एक ट्रैक्टर शामिल हैं.

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कितना करते हैं चार्ज

तारा प्रसाद किसानों को एग्री मशीनों पर किराये पर देकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. रोटावेटर और केज व्हील का किराया 700 रुपये प्रति घंटा है जबकि एक्सेल पैडी क्रशर का किराया 900 रुपये प्रति घंटा, लाइन टिलर का 700 रुपये प्रति घंटा और वाटर पंप का किराया 300 रुपये प्रति घंटा है. उनके बिजनेस का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये हैं. वो तीन गांवों के 200 से ज्यादा किसानों को सर्विस देते हैं.

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