रिटायर्ड टीचर ने खेती में पेश की मिसाल, 1 हजार खर्च कर कमा लिया ₹50000, जानिए कैसे
Success Story: कहा जाता है कि जब कुछ कर गुजरने की चाहत और जुनून हो तो उम्र कभी आड़े नहीं आती. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले ब्रह्मदास ने इस बात को साबित किया है. प्राकृतिक खेती से उनकी कमाई दोगुनी हो गई.
Success Story: कहा जाता है कि जब कुछ कर गुजरने की चाहत और जुनून हो तो उम्र कभी आड़े नहीं आती. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले ब्रह्मदास ने इस बात को साबित किया है. बिलासपुर के फ्योड़ी गांव के रिटायर्ड टीचर ब्रह्मदास ने अपने गांव को रासायनमुक्त करने का एक छोटा सा प्रयास किया जो सफल हुआ. उन्होंने नौणी विश्वविद्यालय से प्राकृतिक खेती (Natural Farming) में ट्रेनिंग ली. एक महीने तक सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती तकनीक को समझने और उसके प्रयोग देखने के बाद ब्रह्मदास ने अपनी खेती में इस तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया.
घर में देसी घी होने से प्राकृतिक खेती आदान बनाने में काफी सहूलियत मिली जिससे इनका काम और आसान हो गया. ब्रह्मदास ने सबसे पहले खुद रासायनों के प्रयोग को बंद करके प्राकृतिक खेती अपनाई और एक सफल मॉडल पेश किया. इनकी देखा-देखी में आस-पड़ोस और गांववालों ने भी प्राकृतिक खेती को अपनाया और अब आलम यह है कि गांव में खाद और कीटनाशकों की बिक्री बंद हो गई. गांव पूरी तरह रासायनमुक्त हो गया.
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गावं के किसानों भी दी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग
ब्रह्मदास से प्रेरणआ पाकर गांव के 30 किसान पूरी तरह प्राकृतिक खेती विधि को अपनाया. वहीं साथ लगते गांव जोला-पालखी में भी प्राकृतिक खेती विधि के तहत किसान खेती कर रहे हैं. इस गांव में किसानों ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) समूह बनाया है. समूह के साथ अभी तक 50 किसान जुड़ सके हैं. बाकी बचे लोग भी प्राकृतिक खेती विधि की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
कितनी हो रही कमाई
उनका कहना है कि जब लोग रासायनिक खेती विधि से खेती कर रहे थे तो उस दौरान गांव में हर साल लगभग 50 हजार रुपये की खाद आती थी, जोकि अब पूरी तरह बंद हो गई है. इसे किसानों की लागत में कमी आई है. हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, रासायनिक खेती में ब्रह्मदास 5,000 रुपये के खर्चे में 25,000 रुपये की कमाई करते थे. लेकिन प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) अपनाने के बाद लागत सिर्फ 1,000 रुपये हो गई और मुनाफा दोगुना हो गया.
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सोलर फेंसिंग से फसलों का बचाव
ब्रह्मदास के प्रयासों से ही गांव के 200 बीघा कृषि क्षेत्र की सोलर फेंसिंग की गई है, जिससे किसानों की फसलें जंगली जानवरी से बच गई. ब्रह्मदास एक मास्टर ट्रेनर के तौर पर इस क्षेत्र के किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के बारे में जागरूक करने के साथ उन्हें इस पुतीन आंदोलन में जोड़ने का काम कर रहे हैं.
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