परंपरागत खेती छोड़ शुरू की अमरूद की खेती, एक साल में ₹25 लाख का मुनाफा
Success Story: हरियाणा के सिरसा जिले के प्रगतिशील किसान किरपा राम डुड्डी ने परंपरागत खेती को छोड़ बागवानी शुरू की. अब वो इससे तगड़ी कमाई कर रहे हैं.
Success Story: केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए बागवानी के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसकी महत्ता को समझ कई किसान परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी कर रहे हैं. ऐसे ही हरियाणा के सिरसा जिले के प्रगतिशील किसान किरपा राम डुड्डी, जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़ बागवानी शुरू की. अब वो इससे तगड़ी कमाई कर रहे हैं.
अमरूद की बागवानी से ₹25 लाख की कमाई
किरपा राम का बागवानी का रिश्ता काफी किसानों के लिए एक अच्छे भविष्य का नींव साबित हो रहा है. उनको देखकर उनके ही गांव के लगभग 10 किसानों ने परंपारगत खेती से हटकर अपने खेतों में बागवानी शुरू कर दी है. किरपा राम अमरूद की फसल (Guava Farming) से करीब 25 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. उनके फार्म में ही व्यापारी खुद आकर फसल ले जाते हैं.
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बागवानी विभाग से मिला आइडिया
हरियाणा बागवानी विभाग के मुताबिक, किरपा राम के पास 12.5 एकड़ जमीन है. इसमें वो पहले गरमा, गेहूं और सरसों की फसल लगाते थे. उन्हें इसमें कोई खास मुनाफा नहीं होता था. इसके बाद उन्होंने हिसार बागवानी विभाग का दौरा किया और अमरूद की खेती के बारे में जानकारी ली.
उन्होंने ड्रिप इरीगेशन के साथ अमरूद की खेती शुरू की. ड्रिप इरीगेशन में पानी की कम खपत होती है. किरपा राम ने 2018 में अमरूद के बाग लगाए थे. उनका कहा है कि इस वर्ष उन्होंने करीब 750 क्विंटल अमरूद की बिक्री और इससे करीब 25 लाख रुपये की आमदनी हुई. इस पर उनकी लागत सिर्फ 2 लाख रुपये आ रही है. जबकि परंपरागत खेती में आमदनी 40-50 हजार रुपये प्रति एकड़ रह जाती है.
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उनके बाग लगाने के बाद गांव के अन्य किसानों ने भी अमरूद की खेती शुरू की है. किरपा राम ने किसानों को बागवानी अपनाने की सलाह दी है. बागवानी विभाग के मार्गदर्शन में काम करें तो कामयाब होंगे.
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