Success Story: भारत में सूअर पालन का काम काफी हद तक असंगठित है और कई किसान बेहतर तरीकों का पालन नहीं करते हैं. सूअर पालन आज के समय में तेजी से बढ़ रहा है. यह रोजगार और कमाई का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. यह सबसे तेजी में मुनाफा देने वाले पशुओं में गिना जाता है. हालांकि, कई किसान अब मध्यम से बड़े पैमाने पर सूअर पालन को लाभदायक उद्यम के रूप में देख रहे हैं. कर्नाटक के बेलगावी के रमेश वैदू ने सूअर पालन  (Pig Farming) शुरू किया और इसमें उनको सफलता भी मिली. उनकी सफलता इतनी आसान नहीं थी. उनको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके इस काम में आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा ने मदद की.

चुनौतियों का करना पड़ रहा सामना

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रमेश को सूअर पालन में लो सबमिशन रेट्स, हाई फीड कॉस्ट, ब्रीडिंग मेल्स की कमी और इनब्रीडिंग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा ने किसान को वैज्ञानिक सूअर पालन पर तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान किया. संस्थान ने आधुनिक सूअर प्रजनन और प्रबंधन हस्तक्षेप पर टेली-परामर्श और प्रशिक्षण भी दिया. रमेशन को टेक्निकल कंसल्टेंसी, वैल्यू एडेड बिजनेस सपोर्ट और मार्केटिंग एसिस्टेंस के लिए संस्थान के कृषि-व्यवसाय इन्क्यूबेशन केंद्र में ऑफ-साइट इन्क्यूबेटी के रूप में भी नामांकित किया गया था.

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संस्थान ने सूअर के वीर्य के मूल्यांकन और प्रोसेसिंग के लिए ऑन-फार्म लैब स्थापित करने में उनकी मदद की. किसान को कृत्रिम गर्भाधान और एस्ट्रस इंडक्शन और सिंक्रोनाइज़ेशन प्रोटोकॉल का उपयोग करके नियंत्रित प्रजनन जैसी टिकाऊ तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. इसके परिणामस्वरूप प्रजनन दर में 74% की बढ़ोतरी हुई, गर्भधारण दर में 56% की बढ़ोतरी हुई और ब्रीडिंग हर्ड में समग्र गर्भधारण दर में 40% की बढ़ोतरी हुई.

3 गुना बढ़ गई कमाई

आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, वैदु ने अपने छोटे पैमाने के खेत को एक बड़े प्रजनक-सह-पशुपालक खेत में बदल दिया, जिसके परिणामस्वरूप वार्षिक आय में तीन गुना बढ़ोतरी हुई और मासिक आय 80,000 रुपये हो गई. इसके अलावा, उन्होंने ब्रीडिंग कॉस्ट और ब्रीडिंग सूअरों के रखरखाव पर 9,000 रुपये की बचत की.  इन सफल तकनीकी हस्तक्षेपों ने पड़ोसी किसानों को उत्पादकता बढ़ाने और आजीविका सुरक्षा के लिए उन्नत प्रजनन तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया.

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