Success Story: खेती-किसानी में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. इससे किसानों का मुनाफा भी बढ़ रहा है. लगातार जल दोहन के चलते भूजल का स्तर तेजी से कम हो रहा है. अब सिंचाई की नई माइक्रो-इरीगेशन आ गई है, जिससे पानी और पैसा दोनों की बचत हो रही है. माइक्रो-इरीगेशन (Micro-Irrigation) के बारे में तेजी से बढ़ती जागरूकता और समय की मांग को देखते हुए एग्री इंजीनियर सुनील दिलीपराव टोंगे को इस क्षेत्र में कमाई का अवसर दिखा. उसने अपनी बचत और बैंक से लोन लेकर माइक्रो-इरीगेशन सिस्टम के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन पार्थ एग्रो सर्विसेज की शुरुआत की. आज उनके फर्म का सालाना टर्नओवर 70 लाख रुपये से ज्यादा है.

माइक्रो-इरीगेशन से पानी की भारी बचत

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सुनील दिलीपराव टोंगे महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिला एक एग्री इंजीनियर हैं. उनके मुताबिक, महाराष्ट्र में पिछले दशकों में माइक्रो-इरीगेशन सिस्मट (ड्रिप और स्प्रिंकलर) के बारे में तेजी से बढ़ती जागरूकता ने विशेष रूप से बागवानी और सब्जी उगाने वाले क्षेत्रों में लाखों हेक्टेयर को इसके दायरे में लाया है. इससे न केवल फसल उत्पादकता में सुधार हुआ है बल्कि कीमती पानी की बचत भी हुई है. 

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बिजनेस शुरू करने से पहले ली ट्रेनिंग

माइक्रो-इरीगेशन सिस्टम में बिजनेस अप्रोच का पता लगाने के लिए उन्होंने श्रीराम में एग्री-क्लीनिक और एग्री-बिजनेस सेंटर (एसी और एबीसी) योजना के तहत उद्यमशीलता स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया. दो महीने की ट्रेनिंग के दौरान उनको माइक्रो-इरीगेशन के फायदे और बिजनेस के बारे में जानकारी मिली.

12 लाख बन गए 70 लाख रुपये

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसने अपनी जेब से 2 लाख रुपये और बैंक से 10 लाख रुपये का लोन लेकर पार्थ एग्रो सर्विसेस की शुरुआत की. पार्थ एग्रो सर्विसेज कल्लम्ब तालुका में माइक्रो-इरीगेशन सिस्टम के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन है. सुनील ने अपनी दुकान का रजिस्ट्रेशन कराया और जैन इरिगेशन की ऑथोराइज्ड डीलरशिप ली.

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अब वो सभी प्रकार के सिंचाई सेट और पाइपिंग सामग्री की ट्रेडिंग करते हैं. सुनील बागान के किसानों को माइक्रो-इरीगेशन सिस्टम को अपनाने सलाह भी देते हैं. मैनेज के मुताबिक, छोटी अवधि के अंदर 500 एकड़ क्षेत्र माइक्रो-इरीगेशन के तहत आ गया है. 25 गांवों के 500 से ज्यादा किसान सिंचाई की नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

क्या है माइक्रो-इरीगेशन?

माइक्रो-इरिगेशन (Micro-Irrigation) एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है, जिसके द्वारा पौधों के जड़ में प्लास्टिक पाइप द्वारा कम समय अंतराल पर पानी दिया जाता है. पारंपरिक सिंचाई की तुलना में इसमें 60% कम पानी की खपत होती है. ड्रिप इरीगेशन, स्प्रिंकलर इरीगेशन तकनीक का उपयोग इस प्रणाली में किया जाता है. पाइप लाइन बिछाकर बूंद-बूंद तरीके से सिंचाई की जाती है.

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