चौथी पास महिला ने किया कमाल, मछली बेचकर हर साल कमा रही ₹25 लाख से ज्यादा
बजट 2023-24 में वित्त मंत्री ने पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत एक नई सब-स्कीम प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना की शुरुआत की है. PM-MKSSY के तहत 6,000 करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इसका उद्देश्य मछुआरे, मछली विक्रेता और मछली पालन में लगे सूक्ष्म और लघु उद्यमी की आय को और बढ़ाना है.
Fisheries: बजट 2023-24 में वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने मछली पालकों के लिए एक नई स्कीम की घोषणा की है. वित्त मंत्री ने पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत एक नई सब-स्कीम प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (Pradhan Mantri Matsya Kisan Samridhi Sah-Yojana) की शुरुआत की है. पीएमएमएसवाई (PM-MKSSY) के तहत 6,000 करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इसका उद्देश्य मछुआरे, मछली विक्रेता और मत्स्य क्षेत्र में लगे सूक्ष्म और लघु उद्यमी की आय को और बढ़ाना है. इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए नौकरियों के अवसर और रखरखाव के लिए प्रोत्साहन मिलता है.
खेती से नहीं चल रहा था घर
महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मोरशी गांव की निवासी कमला अजबराव कुरवाडे पहले एक कृषक थी और इसी से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही थी. हालांकि, अनियमित बारिश और मार्केट रेट्स में उतार-चढ़ाव के कारण उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा. उस समय, उन्होंने अमरावती में एक दिन की ट्रेनिंग प्रोग्राम और रत्नागिरी में 3 दिन की इन्फॉर्मेशन प्रोग्राम में भाग लिया, जो मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित किया गया था. ट्रेनिंग में भाग लेने के बाद वो मछली पालन का काम कर रही हैं.
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मछली पालन के लिए उन्होंने अपने एक खेत का चुनाव किया, जो उनकी घर से 1.5 किलोमीटर दूर थी. मछली पालन के लिए उपयुक्त है क्योंकि पास में पर्याप्त पानी है और खेत में अच्छी क्वालिटी वाली मिट्टी है.
पीएम मत्स्य योजना से ₹2.56 लाख की मिली सब्सिडी
राज्य मत्स्य विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन और समर्थन के साथ कमला ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के तहत नए विकसित तालाब का निर्माण प्रोजेक्ट के लिए आवेदन किया और 0.60 हेक्टेयर जमीन पर 20-25 टन की उत्पादन क्षमता के साथ एक तालाब का निर्माण किया.
कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट ₹14.50 लाख थी. उन्हें PMMSY के तहत वित्तीय सहायता के रूप में ₹2.56 लाख मिले. ₹6.80 लाख का लोन मिला और बाकी की राशि उसने खुद निवेश की थी.
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₹25 लाख का टर्नओवर
नेशनल फिशरिज डेवलपमेंट बोर्ड के मुताबिक, आजकल वह फीड और मछली की क्वालिटी का ठीक से प्रबंधन करती है. उन्होंने केवल उन्हीं प्रजातियों का पालन करना सीखा जिनकी मांग अधिक है ताकि उन्हें बाजार में अच्छी कीमत मिल सके. इससे उनकी कमाई में काफी बढ़ोतरी हुई है. वो सालाना 22 टन मछली का उत्पादन करती हैं और इससे उन्हें सालाना 25 लाख रुपये की कमाई होती है. मछली पालन से उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दी हैं.
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